नई दिल्ली. एल्गार परिषद-माओवादी से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आज गौतम नवलखा को जमानत दे दी है. वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश पर लगाई गई रोक को बढ़ाने से इनकार कर दिया. गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने कार्यकर्ता गौतम नवलखा को नजरबंदी में सुरक्षा के खर्च के लिए 20 लाख रुपये देने का निर्देश दिया.
गौतम नवलखा पर क्या आरोप है?
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद गौतम नवलखा को उनकी स्वास्थ्य स्थितियों और बढ़ती उम्र को देखते हुए नवंबर 2022 से घर में नजरबंद कर दिया गया है. दरअसल, नवलखा को अन्य लोगों के साथ पुणे पुलिस और बाद में एनआईए ने सरकार को उखाड़ फेंकने की साजिश रचने और 1 जनवरी, 2018 को भीमा कोरेगांव स्मारक पर जातीय दंगे भड़काने के आरोप में गिरफ्तार किया था.
गौतम नवलखा एक मानवाधिकार कार्यकर्ता और पीपुल्स यूनियन फॉर डेमोक्रेटिक राइट्स के पूर्व सचिव हैं. उनको अगस्त 2018 में गिरफ्तार किया गया था. बॉम्बे हाईकोर्ट ने गौतम नवलखा को पिछले साल जमानत तो दी थी लेकिन फिर अपने ही आदेश पर रोक भी लगा दी. सुप्रीम कोर्ट से उनको मानवीय आधार पर घर में नजरबंद रखने का आदेश दिया था.
क्या है भीमा कोरेगांव का मामला?
पूरा मामला 31 दिसंबर 2017 का है और पुणे में आयोजित एल्गार परिषद सम्मेलन में दिए गए भाषण से जुड़ा हुआ है. पुलिस प्रशासन ने उस दौरान दिए गए भाषण को भड़काऊ माना और यह तर्क भी दिया था कि उन्हीं भाषणों के बाद स्मारक के पास हिंसा हुई थी. पुलिस ने 2018 में पी. वरवर राव, अरुण अरोरा, सुधा भारद्वाज, वरनो गोल्साल्विस और गौतम नवलखा को गिरफ्तार कर इन पर केस भी दर्ज कर लिया था.
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