हल्दीराम की चटपटी कहानी: 8वीं पास लड़के ने कैसे खड़ी कर दी करोड़ों की कंपनी
8वीं पास एक लड़के ने छोटी सी दुकान से 9 हजार करोड़ के कारोबार की नींव रखी
हर घर में इस कंपनी का प्रोडक्ट आपको मिल जाएगा
टाटा समूह की कंपनी टाटा कंज्यूमर इस कंपनी की 51 फीसदी हिस्सेदारी खरीद सकती है
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टाटा और हल्दीराम के बीच डील की खबर आजादी से पहले शुरू हुई... चलिए जानते है हल्दीराम की ये चटपटी कहानी
बीकानेर के रहने वाले गंगा बिशन अग्रवाल ने साल 1937 में हल्दीराम की नींव रखी.
छोटी सी दुकान में भुजिया , नमकीन बेचते थे
बिशन अग्रवाल की मां उन्हें प्यार से हल्दीराम कहकर बुलाती थी, इसलिए उन्होंने अपने नमकीन का नाम भी 'हल्दीराम' ही रखा
उन्होंने नमकीन और भुजिया बनाने की कला अपनी बुआ ‘बीखी बाई’ से सीखी थी
बिशनजी अग्रवाल भले ही 8वीं पास थे, लेकिन उनके पास गजब की मार्केटिंग स्किल थी
बिजनेस को आगे ले जाने के लिए उन्होंने बीकानेर के महाराजा डूंगर सिंह के नाम पर भुजिया का नाम ‘डूंगर सेव’ रख दिया
उस वक्त हल्दीराम के नमकीन डूंगर सेव बिकना शुरू हो गया.
उस वक्त उस नमकीन की कीमत 5 पैसा प्रति किलो थी
साल 1970 में नागपुर और साल 1982 में राजधानी दिल्ली में हल्दीराम के स्टोर खुले
Haldiram: बिकने वाली है हल्दीराम, खरीदने में जुटी हैं ये 3 विदेशी कंपनियां
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