पृथ्वी पर भगवान हनुमान के प्राचीन उपस्थिति के भौतिक निशान साफ देखे जाते हैं. उनके विशाल पैरों के निशान पत्थर पर इस तरह छप गए हैं, जैसे पत्थर भी भगवान के शरीर का वजन का सह नहीं पाया.
इस कारण उनके पैरों के निशान जमीन पर उतर आए. इसे लेकर यह भी माना जाता है कि, कुछ पदचिह्न सैकड़ों लाखों वर्ष पुराने है. धरती पर लोग रामायण में वर्णित भगवान राम के महान भक्त भगवान हनुमान से परिचित हैं, लोगों का मानना है कि आज भी भगवान धरती पर ही हमारे बीच हैं.
मलेशिया के पेनांग में भी आपको हनुमान जी के पदचिन्ह मिल जाएंगे. यहां लोग हनुमान जी के पदचिह्न के दर्शन के लिए दूर-दूर से आते हैं. भक्त सौभाग्य के लिए यहां पदचिह्न पर सिक्के फेंकते हैं. यह काफी प्रसिद्ध है.
मलेशिया
कहा जाता है कि हनुमान जी जब भारत से श्रीलंका की ओर चले, तो वे श्रीलंका के इसी स्थान पर उतरे थे, तब उनके शरीर की शक्ति इतनी ज्यादा थी कि उनके पदचिह्न ठोस पत्थर में दब गए. तब से यह चिन्ह यहां विशाल रुप में मौजूद है.
श्रीलंका
आंध्रप्रदेश के लेपाक्षी में भगवान हनुमान जी के पैरों के निशान है. जब रावण सीता देवी का अपहरण कर लंका की ओर जा रहा था तो जटायु नामक पक्षी ने उससे युद्ध किया था. तभी धरती पर माता सीता के पैरों के निशान यहां बन गए. जटायु रावण से अधिक देर तक युद्ध नहीं कर सका और इसी स्थान पर गिर पड़ा.
लेपाक्षी
भगवान हनुमान जी के पैरों के निशान आपको थाईलैंड में भी देखने के लिए मिलते है लेकिन अभी तक इसके बारे में साफ जानकारी नहीं मिली है.