
शिखिल ब्यौहार, भोपाल। लोकसभा चुनाव के बाद अब निगम, मंडल, बोर्ड और आयोग के खाली पदों को भरने के लिए बीजेपी भारी माथापच्ची से गुजरना होगा। दरअसल, लोकसभा चुनाव के पहले बीजेपी सरकार ने चुनी हुई 46 नियुक्तियों को तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया था। साथ ही इलेक्शन मोड के बाद नई राजनीतिक नियुक्तियों पर जिम्मेदारी तय करने का निर्णय भी लिया गया था।
एमपी लोकसभा चुनावी सियासत में चार लाख से ज्यादा विपक्ष दलों के कार्यकर्ता और पदाधिकारियों ने बीजेपी का दामन थामा। अब बीजेपी के पहले से दावेदारी के साथ दलबदल नेताओं के एडजस्टमेंट का बड़ा टास्क बीजेपी के सामने हैं। खबर यह भी है कि लोकसभा चुनावी परिणामों से आश्वस्त नजर आ रही बीजेपी में राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर अंदरूनी तौर पर सुगबुगाहट शुरू हो गई है।
बीजेपी का दावा है कि चुनावी दौर में चार लाख से ज्यादा विपक्षी कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों ने बीजेपी की सदस्यता ली। इसमें 15 हजार ज्यादा कांग्रेस के उन नेताओं ने बीजेपी की सदस्यता ली जिनका अपने-अपने ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में प्रभाव है। यह पूर्व पदाधिकारी से लेकर पूर्व जनप्रतिनिधि भी रहें हैं। लेकिन, अब इसके एडजस्टमेंट को लेकर चर्चाओं का माहौल गर्म है।
केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी में शामिल होने के बाद भी उनके समर्थकों को राजनीतिक नियुक्तियों में प्राथमिकता दी गई थी। लिहाजा इस बार नए सियासी समीकरणों को संभाल पाना बीजेपी के लिए चुनौती से कम नहीं होगा।
मामले पर कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता स्वदेश शर्मा ने कहा कि लोकसभा चुनाव में ही कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हुए कई नेता मंच पर बैठने तक को तरसे। लिहाजा आगामी समय में इनकी स्थिति राजनीतिक रूप से बेहद दयनीय होना भी तय है। सिंधिया समर्थकों की स्थिति अर्श से फर्श तक पहुंच चुकी है। दलबदलू नेताओं को लेकर बीजेपी में कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है। चुनावी प्रचार के दौरान बीजेपी के पुराने कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों की नाराजगी का सामना संगठन को करना पड़ा। कांग्रेस का दावा है कि सियासी उठा पटक का कांग्रेस को नुकसान नहीं हुआ। लेकिन इसका खामियाजा अब बीजेपी को भुगतना होगा।
उधर प्रदेश प्रवक्ता सतेंद्र जैन बीजेपी का मानना है कि बीजेपी में हर कार्यकर्ता के लिए काम है। दायित्वों का निर्वहन भी उनकी क्षमताओं के हिसाब से तय होगा। इतना ही नहीं बल्कि बीजेपी ने यह भी कहा कि संगठन में हर कार्यकर्ता और हर पदाधिकारी का सम्मान बराबर होता है। अच्छे समन्वय और नीति का नाम ही बीजेपी है।
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