रायपुर. इंडियन फार्मासिस्ट एसोसिएशन (आईपीए) के प्रतिनिधि मंडल ने छत्तीसगढ़ स्टेट फ़ार्मेसी कौंसिल के रजिस्ट्रार से मुलाक़ात कर फ़ार्मेसी इंस्पेक्टर नियुक्त कराने के साथ दस बिंदुओं पर मांग पत्र सौंपा. पत्र में बताया गया कि राज्य में फ़ार्मेसी एक्ट 1948 के सेक्शन 42 का कही भी पालन नहीं हो रहा है. राज्य के 5 हज़ार से अधिक उप स्वास्थ्य केंद्रों में फार्मासिस्ट का पद ही नहीं है. उसके जगह में अन्य कर्मचारी दवा वितरण करते हैं.

एसोसिएशन ने बताया कि किसी भी शासकीय ब्लड बैंकों में और पशु चिकित्सालयाें में भी फार्मासिस्ट पदस्थ नहीं हैं. अन्य शासकीय अस्पतालों जैसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों और ज़िला अस्पतालों में भी 23 सालों से नये पद स्वीकृत नहीं किए गए हैं. मरीज़ों की भीड़ को सम्भालने नर्सिंग कर्मियों और अन्य कर्मियों से दवा बटवाया जा रहा है. फ़ार्मेसी एक्ट के सेक्शन 42 के प्रावधानुसार फार्मासिस्ट के अलावा किसी अन्य व्यक्ति से दवा संबंधी काम लेने पर तीन माह कारावास और दो लाख रुपए जुर्माना का प्रावधान है.

पत्र में बताया गया है कि प्रदेशभर के 80% निजी दवा दुकाने भी किराए के फार्मासिस्ट सर्टिफिकेट से चलाई जा रही है. फ़ार्मेसी कौंसिल में 6 हज़ार से अधिक फार्मासिस्टों का पंजीयन लाइफ टाइम के लिए कर दिया गया है, जबकि एक्ट में ऐसा कोई प्रावधान ही नहीं है. लगभग 4000 फार्मासिस्ट अनुभव के आधार पर पंजीकृत हैं. कौंसिल कार्यालय में जिनका अनुभव प्रमाण पत्र ही नहीं है ऐसे में संगठन ने सभी अनुभव आधारित फार्मासिस्टों का फिसिजल वेरिफ़िकेशन करने और लाइफ टाइम पंजीयन समाप्त करने की मांग की है. दुरदराज से आने वाले फार्मासिस्टों की सुविधा और संसाधन एवं समय की उपयोगिता को देखते हुए पंजीयन एवं नवीनीकरण कार्य जल्दी ही ऑनलाइन करने की मांग की गई है.

पत्र में कहा गया है कि एक आरटीआई में संगठन को जानकारी प्राप्त हुई है कि कार्यालय भवन के लिए निजी ज़मीन करोड़ों रुपए में ख़रीदने की योजना है. इसका संगठन खुलकर विरोध करता है और मांग करता है कि शासन से भवन के लिए निःशुल्क ज़मीन दी जाए.

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