डॉ. वैभव बेमेतरिहा, रायपुर। छत्तीसगढ़ में नक्सल पुनर्वास नीति को साय सरकार और भी बेहतर बनाना चाहती है. इसके लिए गृहमंत्री विजय शर्मा ने सीधे नक्सलियों से ही सुवाझ मांगा है. गृहमंत्री शर्मा की ओर से ईमेल आईडी और फार्म भी जारी किया गया. इसी मसले पर एक बैठक जगदलपुर में बुधवार को गृहमंत्री ने अधिकारियों और स्थानीय पत्रकारों के साथ की है.

इसी मसले को लेकर लल्लूराम डॉट कॉम ने गृहमंत्री शर्मा से बातचीत की. उन्होंने जानकारी दी कि छत्तीसगढ़ में नक्सल पुनर्वास नीति बनी हुई. लेकिन हम इस नीति को और भी बेहतर बनाना चाहते हैं. इसके लिए गृह विभाग ने 5 राज्यों की नीतियों का अध्ययन भी किया है. अध्ययन के बाद कहा जा सकता है कि छत्तीसगढ़ की जो नीति है वो अन्य राज्यों से अच्छी है. फिर भी इस नीति को और भी कारगर बनाना हमारा मकसद है. इसी उद्देश्य के साथ गृह विभाग की ओर से सीधे नक्सलियों से सुझाव मांगा गया है. इसके लिए ईमेल आईडी और फार्म भी जारी किया गया.

गृहमंत्री ने यह भी जानकारी दी कि इस नीति को बेहतर और सफल बनाने में बड़ी और अहम भूमिका स्थानीय पत्रकारों की है. उन पत्रकारों की जो जमीनी स्तर पर, आदिवासियों और नक्सलियों के बीच जंगल में जाकर रिपोर्टिंग करते हैं. ऐसे पत्रकारों के साथ भी मैंने बैठककर विस्तार से चर्चा की है. क्योंकि नक्सली अपनी बात इन्हीं पत्रकारों के जरिए पहुँचाते हैं. पत्रकारों को भी हमने ईमेल आईडी और फार्म दिया है. सही मायने में नक्सलवाद की समस्या को खत्म कराने में समाज के सभी तबकों की भूमिका अहम है. और पत्रकारों को मैं सरकार, समाज और समाज की मुख्यधारा से अलग होकर कार्य करने वालों के बीच का एक मजबूत कड़ी मानता हूँ. मैंने पत्रकारों से इस विषय को लेकर आग्रह किया है. उम्मीद है समय के साथ इस पर बेहतर परिणाम मिलेंगे.

मानव अधिकार कार्यकर्ताओं के जरिए बातचीत और सुझाव पर कहा कि यदि दो पक्षों के साथ ही बातचीत हो, तो जरूर होगी. लेकिन जो लोग नक्सलियों की हिंसा पर चुप रहे और निर्दोष आदिवासियों की हत्या या जवानों की शहादत पर कुछ न बोले उनसे कैसे बातचीत होगी ? मैं उन सभी लोगों से बातचीत करने के लिए तैयार जो दोनों ही तरफ से बात करने के लिए तैयार हों. सिर्फ एकपक्षीय बात नहीं होगी.

वहीं उन्होंने छत्तीसगढ़ के नक्सलियों को आध्रप्रदेश जाकर सरेंडर करने के सवाल पर कहा. ये सच है कि कुछ नक्सली दूसरे राज्यों में जाकर सरेंडर करते हैं. क्योंकि आंध्र और तेलंगाना में उनका कैडर काम करता है. यह भी एक वजह हो सकती है, इसके साथ ही कुछ अन्य कारण भी हो सकते हैं. लेकिन बीते कुछ महीनों में नक्सलियों ने बड़ी संख्या में छत्तीसगढ़ में आत्म समर्पण किया है. साय सरकार और मोदी सरकार में एक स्पष्ट नीति नक्सलवाद पर काम कर रही है. इसका लाभ सभी मोर्चों पर मिल रहा है. बातचीत का खुला ऑफर हमने दिया हुआ है. साथ ही आवश्यकता के अनुसार जवाबी कार्रवाई भी किया जा रहा है. सरकार की नीति बस्तर में पूर्ण शांति और विकास की है.

Lalluram.Com के व्हाट्सएप चैनल को Follow करना न भूलें.
Read More:- https://whatsapp.com/channel/0029Va9ikmL6RGJ8hkYEFC2H