रायपुर। केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने 31 मार्च 2019 तक सभी शिक्षकों को प्रशिक्षित होना अनिवार्य किया है..इसके बाद ऐसे शिक्षक जिन्होनें बीएड या डीएड नहीं किया है,उन्हें नौकरी से निकाल दिया जायेगा. प्रदेश के सरकारी स्कूलों में करीब 20 हजार शिक्षाकर्मी अप्रशिक्षित हैं और ऐसे में इन सभी की नौकरी खतरे में दिखाई दे रही है.
इधर मानव संसाधन विकास मंत्रालय के इस आदेश के बाद शिक्षाकर्मी आक्रोशित हो गये हैं. शालेय शिक्षाकर्मी संघ ने इस फैसले का विरोध किया है और कहा है कि इस फैसले से शिक्षाकर्मियों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो जायेगा.
संघ ने 29 जुलाई को इस संबंध में एक बैठक बुलाई है,जिसमें इस फैसले के खिलाफ आंदोलन की रणनीति तय की जायेगी. संघ के अध्यक्ष वीरेन्द्र दुबे का कहना है कि सभी शिक्षाकर्मी बीएड-डीएड का प्रशिक्षण लेना चाहते हैं, लेकिन ये कोर्स नियमित पढ़ाई से ही संभव है और सरकार शिक्षाकर्मियों को अध्ययन अवकाश नहीं देती.
इतना ही नहीं शिक्षाकर्मियों से अध्यापन के अलावा दूसरे सरकारी काम भी कराये जाते हैं,जिससे उन्हें पढ़ने की फुरसत नहीं मिल पाती…संघ का मानना है कि शिक्षाकर्मियों को प्रशिक्षित करने की जिम्मेदारी सरकार की है,लेकिन अभी तक सरकार की ओर से इस मांग पर केवल आश्वासन ही मिलता आया है.