कुमार इंदर, जबलपुर। नर्मदा नदी को प्रदूषणमुक्त कराने के लिए जबलपुर के एक संत भैया जी सरकार यानी अब दादा गुरू के नाम से मशहूर बीते चार सालों से भोजन को त्याग कर सिर्फ नर्मदा जल पीकर जिंदा है। दादा गुरू सिर्फ नर्मदा का पानी पीकर 1308 दिनों से न केवल स्वस्थ्य है बल्कि शारीरिक और मानसिक रूप से फिट भी हैं। वो इस हालत में दो से तीन बार अपना ब्लड भी डोनेट कर चुके हैं। दावा किया जा रहा है कि दादा गुरू बिना अन्न खाए भी पूरी तरह से स्वस्थ है।

टीम जांच करेगी भोजन की जरूरत क्यों नहीं पड़ रही

उनके इस दावे की जांच के लिए जबलपुर कलेक्टर ने डॉक्टरों की एक टीम बनाई है। टीम को मेडिकल विश्विविद्लाय के पूर्व कुलपति डॉक्टर आरएस शर्मा लीड कर रहे है। डॉक्टरों की टीम अब ये जांच करेगी कि आखिर क्यों दादा गुरू को भोजन की जरूरत नहीं पड़ रही है और उनके खून में ऐसा क्या है जो कि उन्हें एनर्जी दे रहा है। डॉक्टरों की टीम उनके शरीर का प्रशिक्षण कर जल्द ही रिपोर्ट शासन को सौंपी है। लेकिन प्रारंभिक तौर पर जो जांच दादा गुरु की आ रही है उसमें उनकी हालत बिलकुल सामान्य व्यक्ति की तरह ही बताई जा रही है।

सुबह से लेकर रात तक पांच बार मेडिकल चेकअप

इस हालत में दादा गुरू का सुबह से लेकर रात तक चार से पांच बार मेडिकल चेकअप हो रहा है, यहीं नहीं वह अभी भी डेली 25 से 30 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर रहे हैं। यात्रा के दौरान उनके पीछे फॉलो और पूरी मेडिकल की टीम भी चलती रहती है जिससे कि दादा गुरु की निगरानी और स्वास्थ्य का ध्यान रखा जाए। 7 दिन के मेडिकल परीक्षण के दौरान दादा गुरू के पदयात्रा की वीडियोग्राफी भी की जा रही है। जिसमें देखा जा रहा है कि वे किस तरह से बिना खाए पैदल यात्रा कर रहे हैं। उनको थकान भी नहीं आ रही है। इस 7 दिन के मेडिकल टेस्ट के साथ ही उनके लगातार हो रही वीडियो रिकॉर्डिंग भी शासन को सौंपी जाएगी।

विश्व स्तर पर प्रमाणित करने डॉक्टरों की टीम गठित

दादा गुरू की इस बात को देखते हुए संचालनालय लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा ने उनकी निराहार पर शोध करने और इसे विश्व स्तर पर प्रमाणित करने के लिए निर्देश जारी किया है। नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज के अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई है। समिति के अध्यक्ष एमपीएमएसयू जबलपुर के पूर्व कुलपति डॉ. आरएस शर्मा और मेडिसिन डिपार्टमेंट के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. प्रशांत पुणेकर और पैथोलॉजी डिपार्टमेंट के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. राजेश महोबिया समेत नर्मदा मिशन के अध्यक्ष निलेश रावल इस समिति के सदस्य हैं। समिति अगले 7 दिन, 24 घंटे लगातार दादा गुरु के स्वास्थ्य और दिनचर्या की सतत निगरानी करेगी।

कौन हैं दादा गुरू

जबलपुर के रहने वाले दादा गुरू ने एक दशक पहले नर्मदा में बढ़ रहे प्रदूषण को लेकर आंदोलन शुरू किया था। धीरे-धीरे उनके साथ करवां जुड़ता गया। बाद में आंदोलन का नाम नर्मदा मिशन रखा गया। दादा गुरू ने नर्मदा में मिलने वाले गंदे नाले और प्रदूषण को लेकर हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी, जिस पर राज्य सरकार को हाईकोर्ट ने फटकार लगाते हुए नर्मदा को लेकर जांच के निर्देश दिए थे। दादा गुरू प्रदेश के अलग-अलग जिलों में आंदोलन, धरना प्रदर्शन किया और जब सरकार की तरफ से कार्रवाई नहीं की तो उन्होंने निराहार रहने का फैसला किया। उनके अनुयायियों और खुद दादा गुरू का कहना है बीते 4 सालों से अन्न का एक भी दाना नहीं खाया और नर्मदा जल पर ही जिंदा है। कहा जाता है कि दादा गुरू अभी तक मां नर्मदा की 3 हजार से अधिक किलोमीटर की परिक्रमा कर चुके हैं।

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