दिल्ली के विवेक विहार स्थित न्यू बोर्न बेबी केयर अस्पताल में आग से सात नवजातों की मौत के बाद दिल्ली सरकार ऐक्शन मोड में आ गई है. दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने इस मुद्दे पर बैठक ली. इस बैठक में उन्होंने कई निर्देश जारी किए हैं. दिल्ली सरकार ने सभी छोटे बड़े निजी और सरकारी अस्पतालों को 8 जून 2024 तक फायर ऑडिट कर रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए हैं.

दिल्ली सरकार ने फैसला लिया है अस्पताल या नर्सिंग होम के रजिस्ट्रेशन फॉर्म में भी बदलाव होगा. फॉर्म में यह बताना होगा कि इमारत में स्मोक डिक्टेटर, अग्निशामक यंत्र और जल छिड़काव यंत्र उचित संख्या में लगे हैं. ऐसी जानकारी देनी अनिवार्य होगी. यही नहीं दिल्ली में सभी CDMO को अस्पतालों और नर्सिंग होम का रेंडम निरिक्षण करने के निर्देश भी जारी किए गए हैं.

वहीं राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) ने आग की बढ़ती घटनाओं के मद्देनजर दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (DDMA) से दिल्ली के सभी अस्पतालों और कोचिंग संस्थानों के ऑडिट के निर्देश दिए हैं. इसको लेकर एक महीने में रिपोर्ट सौंपी जानी है. पिछले वर्ष दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने ग्रीष्म कार्य योजना को लेकर मसौदा तैयार किया था. जिसे इस वर्ष NDMA ने मंजूरी दी है. अप्रैल महीने में योजना को लागू किया गया था.

एक रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली में छोटे-बड़े करीब 150 से ज्यादा अस्पतालों और नर्सिंग होम के पास फायर NOC नहीं है. फायर विभाग के सूत्रों की मानें तो दिल्ली में कई अस्पताल अनाधिकृत रिहायशी इलाकों में चल रहे हैं. यही नहीं बड़ी संख्या में अस्पतालों के पास बिल्डिंग प्लान तक नहीं है. दिल्ली में 1000 से ज्यादा छोटे-बड़े अस्पताल हैं जिनमें से केवल 80 बड़े अस्पतालों के पास फायर NOC है.