तेंदूपत्ता जिसे हरा सोना भी कहते है, छग में वनक्षेत्रों में रहने वाले ग्रामीणों के आय का प्रमुख साधन है । इस वर्ष छग शासन द्वारा तेंदूपत्ता का खरीदी दर 4000 प्रति मानक बोरा से बढ़ाकर 5500 प्रति मानक बोरा किया गया ।जिसके कारण ग्रामीणजन अधिक उत्साह और मेहनत से तेन्दूपत्ता संग्रहण कर फड़ों में विक्रय किये है । संपूर्ण छग राज्य में इस वर्ष 954 लॉट के माध्यम से तेन्दूपत्ता संग्रहण के लिए अग्रिम निर्वतन कर क्रेता नियुक्ति किया गया । इस वर्ष 16 लाख 72 हज़ार मानक बोरा तेन्दूपत्ता संग्रहण लक्ष्य के विरू़द्व 15 लाख 36 हज़ार मानक बोरा संग्रहण किया गया, जो लक्ष्य का 92 प्रतिशत है । तेन्दूपत्ता संग्रहण कार्य में छग के 12 लाख संग्राहक परिवारों को राशि रूपये 845 करोड़ का भुगतान पेमेंट सॉफ्टवेयर के माध्यम से ऑनलाइन किया जा रहा है।
इस तारतम्य में छ.ग. के 30 वनमंडल में से मात्र 6 वनमण्डल द्वारा लक्ष्य का 100 प्रतिशत तेन्दूपत्ता संग्रहण किया गया। जिसमें से मनेन्द्रगढ़ वनमंडल एक है। इस वर्ष मनेंद्रगढ़ वनमण्डल में तेंदूपत्ता सीजन में मौसम बहुत खराब रहा और कई जगह तो हर शाम बारिश हुई। बावजूद इसके सभी फड़ को चालू रखा गया और ठेकेदारों को मनमानी नहीं करने दिया गया। बारिश होने पर तेंदूपत्ता को सुरक्षित रखना कठिन हो जाता है इस वजह से ठेकेदार अपने सहूलियत के लिए फड़ को बंद कर देते है। इससे संग्राहकों को नुक़सान झेलना पड़ता है। वनमंडलाधिकारी मनीष कश्यप के निर्देश पर सभी फड़ को चालू रखा गया। परिणामस्वरूप मनेंद्रगढ़ में पूरे 22 दिन तक तेंदूपत्ता का संग्रहण हुआ। पूर्व की कांग्रेस सरकार में सिर्फ़ 10 दिन में ही तेंदूपत्ता की खरीदी बंद हो जाती थी। वनमंडल में 15 प्राथमिक वनोपज सहकारी समितियों के माध्यम से 220 फड़ों में 43.5 हज़ार मानक बोरा लक्ष्य के विरूद्व 44.7 हज़ार मानक बोरा का रिकार्ड संग्रहण किया गया। जो कि संग्रहण लक्ष्य का 102.76 प्रतिशत है । मनेन्द्रगढ़ वनमण्डल से तेन्दूपत्ता संग्रहण का भुगतान 33.5 हज़ार संग्राहक परिवार को राशि रूपये 24.5 करोड़ ऑनलाइन पेमेंट सॉफ्टवेयर के माध्यम से सीधे खाते में किया जा रहा है ।
2021 के तेंदूपत्ता सीजन में भी विपरीत स्थिति के बावजूद पूर्व भानुप्रतापपुर DFO रहते मनीष कश्यप ने छत्तीसगढ़ में सबसे ज़्यादा तेंदूपत्ता का संग्रहण करवाया था। जबकि उस समय मौसम ख़राब होने के साथ साथ कोरोना के दूसरे फेज का भी प्रकोप था। तब सबसे ज़्यादा 68 करोड़ का भुगतान अकेले भानुप्रतापपुर वनमण्डल को हुआ था। जो राज्य में सबसे ज़्यादा था।
इस वर्ष अप्रैल में फ़ूड ग्रेड महुआ के संग्रहण में भी मनेंद्रगढ़ वनमण्डल ने रिकॉर्ड बनाया था। पूरे प्रदेश का 75% फ़ूडग्रेड महुआ संग्रहण अकेले मनेंद्रगढ़ में ही हुआ था। महुआ का ज़्यादा क़ीमत बढ़ाने के लिए पेड़ों कि नीचे जाली के माध्यम से संग्रहण किया जाता है, जिसे फ़ूडग्रेड महुआ कहते हैं।इससे संग्राहकों को महुआ का ज़्यादा क़ीमत प्राप्त होता है और अतिरिक्त रोज़गार भी बनता है।
किसानों का अतिरिक्त आय बढ़ाने के लिए लाख पालन पर भी मनेंद्रगढ़ में इस वर्ष ज़बरदस्त काम हो रहा है। 250 किसानों के 5000 पलाश के वृक्षों में प्रुनिंग का काम हुआ है, जिसमें जुलाई और अक्तूबर के महीने में लाख बीज लगाया जायेगा।1 पलाश पेड़ में 1000 रुपए तक का लाख बीज लगाया जाता है जिसमें किसानों को 4-5 हज़ार तक का आय होता है। मनेंद्रगढ़ में पलाश पेड़ो का भरमार है। धान की खेती कुछ ख़ास नहीं होती इसलिए लाख की खेती वरदान साबित हो सकता है।
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