लुधियाना. 20 साल से लुधियाना लोकसभा में कांग्रेस का सिक्का कायम है लेकिन इस बार चुनाव नतीजों में सिक्के की चमक फीकी पड़ गई है. जीत का वह स्वाद कांग्रेसी नहीं उठा सके, जो पिछले तीन चुनावों में वोट मार्जिन अधिक होने की वजह से रहा है. आकंड़ों पर नजर डाली जाए तो साल 2009 में हुए चुनाव में मनीष तिवारी ने अकाली दल के गुरचरण सिंह गालिब को हराकर 113706 वोटों के अंतर से सबसे बड़ी जीत हासिल की थी.
2014 में आनंदपुर साहिब से लुधियाना सीट पर शिफ्ट हुए रवनीत बिट्टू ने शिअद के मनप्रीत सिंह अय्याली को हराकर 43869 वोटों जीत हासिल की थी. इसी प्रकार 2019 में कांग्रेस की ही सीट पर चुनाव लड़े रवनीत बिट्टू को कांग्रेस कार्यकर्त्ताओं की नाराजगी का सामना करना पड़ा था. कार्यकर्ताओं की नाराजगी थी कि बिट्टू न तो उनसे मिलते हैं और न ही उनका फोन उठाते हैं.
कार्यकर्ताओं की नाराजगी के बावजूद बिट्टू ने 2019 का चुनाव 79072 वोटों के अंतर से चुनाव जीता था. इस चुनाव में बिट्टू का निकटतम मुकाबला लोक इंसाफ पार्टी के सिमरजीत सिंह बैंस से था. 2024 में बिट्टू के भाजपा में शामिल होने के बाद पंजाब कांग्रेस कमेटी के प्रधान एवं गिद्दड़बाहा से विधायक अमरिंदर सिंह राजा वडिंग को लुधियाना लोकसभा सीट पर उतारा गया. राजा वडिंग ने जीत तो हासिल की लेकिन बीते दो दशक के मुकाबले उन्हें सबसे कम 20942 वोटों के अंतर से जीत हासिल हुई है.
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