सुधीर दंडोतिया, भोपाल। सूत्रों के हवाले से एक बड़ी खबर सामने आई है। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा (JP Nadda) अपने पद से इस्तीफा दे सकते हैं। वहीं मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) को दिल्ली (Delhi) बुलाया गया है। बताया जा रहा है कि शिवराज सिंह को BJP का नेशनल प्रेसिडेंट बनाया जा सकता है।
बीजेपी में होगा बड़ा बदलाव
लोकसभा चुनाव के बाद बीजेपी में राष्ट्रीय स्तर पर कई बदलाव देखने को मिलेंगे। इसमें मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को बड़ी जिम्मेदारी मिलने की बात कही जा रही है। इस चुनाव में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के हटने की खबरें चल रही है, ऐसे में इस पद के लिए मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम शिवराज का नाम इस पद के लिए रेस में सबसे आगे है। जेपी नड्डा की जगह उन्हें अध्यक्ष बनाने की अटकलें भी तेज हो गई हैं। इस बीच कांग्रेस नेताओं ने शिवराज की वकालत करते हुए उन्हें प्रधानमंत्री बनाने की मांग भी उठाई है।
कांग्रेस ने कही यह बात
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल भी 30 जून को खत्म होने वाला है। इस वजह से शिवराज को अध्यक्ष बनाने की अटकलें भी तेज हो गई हैं। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज ने 8.21 लाख वोट से जीत दर्ज की है। वाराणासी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जीत 1.52 लाख मतों से हुई है। कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने सोशल मीडिया पर लिखा कि मीडिया में PM मोदी से ज्यादा शिवराज सिंह छाए हुए है। शिवराज ओबीसी हैं, मोदी से आठ साल युवा हैं। खाटी संघी हैं। मोदी सिर्फ 1.5 लाख से चुनाव जीते, जबकि शिवराज 8.21 लाख से जीते हैं। दिल्ली का मौसम बदल रहा है।
पूर्व सांसद बोले- शिवराज बने प्रधानमंत्री
कांग्रेस के राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने भी लिखा कि शिवराज सिंह चौहान परिवक्त नेता हैं। विधानसभा चुनाव की जीत का भी कारण रहे थे। आरएसएस के प्रिय हैं। कांग्रेस को विधानसभा चुनाव में 66 और लोकसभा चुनाव में 0 करने के मुख्य किरदार हैं। पूर्व सांसद उदित राज ने लिखा कि देशहित में राहुल गांधी या मल्लिकार्जुन खरगे को पीएम बनना चाहिए। अगर ऐसा नहीं हो पाता तो अखिलेश यादव या चंद्रबाबू नायडू या नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री बनना चाहिए। भाजपा का पीएम नहीं होना चाहिए। अगर होता है तो नितिन गड़करी या शिवराज सिंह चौहान बनें।
शिवराज का मिलनसार होना, बैठा सकते है दूसरे दलों के साथ तालमेल
शिवराज सिंह चौहान की विनम्रता उन्हें दूसरे नेताओं से अलग बनाती है। यही वजह है कि भाजपा के साथ-साथ विपक्ष में भी उनके मुरीद नेताओं की कमी नहीं है। सरल और मिलनसार व्यक्तित्व के शिवराज को जनता ही नहीं विपक्ष के नेता भी पसंद करते है।
30 जून को खत्म हो रहा नड्डा का कार्यकाल
जेपी नड्डा 2012 में राज्यसभा के सदस्य बने थे। 2014 में जब अमित शाह ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद संभाला तो नड्डा को संसदीय बोर्ड में शामिल किया गया था। 2019 में अमित शाह गृहमंत्री बने। इसके बाद नड्डा को भाजपा का राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया। 2020 में उन्हें फुलटाइम अध्यक्ष चुना गया। वैसे भाजपा में राष्ट्रीय अध्यक्ष का कार्यकाल तीन साल का होता है और किसी भी अध्यक्ष को लगातार दो कार्यकाल ही मिल सकते हैं।
शिवराज सिंह को पहले भी केंद्र में मिली है बड़ी जिम्मेदारी
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इससे पहले भी केंद्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 1991 में पहली बार लोकसभा के लिए चुने गए थे। उसके बाद 1996, 1998, 1999 और 2004 में भी विदिशा से सांसद चुने गए। इस दौरान 2002 में भाजपा के राष्ट्रीय सचिव और 2003 में राष्ट्रीय महासचिव भी नियुक्त हुए थे।
29 नवंबर 2005 को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बने और उसके बाद 2018 तक रहे। 2020 में फिर मुख्यमंत्री बने और 2023 तक इसी पद रहे। 2023 में मध्य प्रदेश में पूर्ण बहुमत मिलने के बाद पार्टी ने शिवराज की जगह डॉ. मोहन यादव को मुख्यमंत्री पद के लिए चुना और तब से ही तय माना जा रहा था कि शिवराज सिंह को केंद्र में बड़ी भूमिका दी जा सकती है।
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