कुमार इंदर, जबलपुर। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में सात जजों की नियुक्ति की वैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि न्यायपालिका में OBC,SC, ST को रिप्रेजेंटेशन देने का संविधान में प्रावधान नहीं है। जज का पद सिविल पोस्ट नहीं है। याचिका में हाईकोर्ट जजों की नियुक्तियों को संविधान विरूद्ध बताया गया था। 

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जजों की नियुक्ति को अनुच्छेद 13,14,15,16 एवं 17 का उल्लंघन बताया गया। हाईकोर्ट ने आपने निर्णय में कहा कि, कॉलेजियम भले ही संविधान का हिस्सा नहीं,लेकिन न्यायपालिका सहित विधायिका पर बंधनकारी है। हाईकोर्ट जजों की नियुक्तियां सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों के अनुसार होती है। वहीं हाई कोर्ट के फैसले खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में SLP दायर की जाएगी।

जाति, वर्ग एवं परिवारवाद व्यवस्था को दी गई थी चुनौती

याचिकाकर्ता मारुति सोंधिया की ओर से अधिवक्ता उदय कुमार साहू ने (4 नवंबर 2023 को) याचिका में एमपी हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया के कॉलेजियम की जाति, वर्ग एवं परिवार वाद व्यवस्था को भी चुनौती दी थी। याचिका में आरोप है कि हाईकोर्ट तथा सुप्रीम कोर्ट द्वारा संविधान में विहित सामाजिक न्याय तथा आनुपातिक प्रतिनिधित्व के सिद्धांत को नजर अंदाज कर एक ही जाति, वर्ग तथा परिवार विशेष के ही अधिवक्ताओं के नाम पीढ़ी दर पीढ़ी हाईकोर्ट जजों की नियुक्ति के लिए बढ़ाए जाते हैं, जो संविधान के अनुच्छेद 13,14, 15,16 एवं 17 के प्रावधानों तथा भावना के विपरीत है। भारत के संविधान में सामाजिक न्याय तथा आर्थिक न्याय की आधारशिला रखी गई है।  

Jabalpur Highcourt जबलपुर हाईकोर्ट

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