वैभव बेेेमेतरिहा,रायपुर। छत्तीसगढ़ में पहले चरण के चुनाव के बाद अब बारी दूसरे चरण में होने वाले 72 सीटों के चुनाव की. दूसरे चरण के लिए मतदान 20 नवंबर को होना है. मतदान से पूर्व सभी राजनीतिक दलों ने पूरी ताकत झोंक दी है. दूसरे चरण में 4 संभाग के 72 सीटों को लेकर हर दल के अपने-अपने दावे हैं. लेकिन बीते 2013 के चुनावी आंकड़ों के साथ हम आपको बताने जा रहे हैं कि कहां, किस इलाके में कौन सी पार्टी मजबूत है. मतलब कहां पंजे की पकड़ है, कहां कमल का फूल खिल सकता है, किस इलाके में हाथी सबका साथी है और कहां पर जोगी के हल ने गठबंधन का बल बनकर मुकाबले को त्रिकोणी बना दिया है.

दुर्ग संभाग- दुर्ग संभाग के 14 सीटों के लिए दूसरे चरण में चुनाव होने है. इस संभाग के 6 सीटों पर पहले चरण में मतदान हो चुके हैं. शेष बचे इन 14 सीटों में वर्तमान भाजपा 9 पर और कांग्रेस 5 काबिज है. लेकिन 2018 के इस चुनाव में यहां समीकरण बदलते दिख रहे हैं. मतलब 14 सीटों में से 5 सीट- नवागढ़, बेमेतरा, दुर्ग ग्रामीण, दुर्ग शहर, और गुण्डरदेही पर जनता कांग्रेस और बसपा गठबंधन से मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है. हालांकि 5 में से 4 सीट नवागढ़, बेमेतरा, गुण्डरदेही के साथ दुर्ग शहर में भाजपा और कांग्रेस खासा संघर्ष करना पड़ रहा है. वर्तमान में इनमें से दो सीट पर भाजपा के विधायक है तो 2 पर कांग्रेस के. जहां तक शेष 8 सीटों का सवाल है तो इनमें ज्यादातर सीटों पर कांग्रेस मजबूत दिखती है.

रायपुर संभाग- रायपुर संभाग में कुल 20 सीटें है. इन 20 सीटों में वर्तमान में 15 सीटों पर बीजेपी, 4 सीटों पर कांग्रेस और 1 सीट पर निर्दलीय काबिज है. कांग्रेस को इसी संभाग में सबसे ज्यादा नुकसारन 2013 के चुनाव में हुआ था. लेकिन 2018 के इस चुनाव में रायपुर संभाग की सीटें भाजपा और कांग्रेस के बीच बराबरी पर बंटती नजर आ रही है. हालांकि यहां तीन सीटें भाटापारा, बिलाईगढ़, बलौदाबाजार ऐसी है जहां जोगी-बसपा गठबंधन जहां उलटफेर भी कर सकती है. इसमें एक कांग्रेस और दो में भाजपा के विधायक है. बीजेपी को सर्वाधिक दिक्कत रायपुर जिले में दिख रही है. जहां 7 में से 5 सीटों पर भाजपा वर्तमान काबिज है. इसमें आंकड़ा यहां बदल भी सकता है.

बिलासपुर संभाग- बिलासपुर संभाग में सर्वाधिक 24 सीटें है. यहां अक्सर मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच लगभग बराबरी का रहता है. कभी भाजपा आगे तो कभी कांग्रेस आगे रहती है. वर्तमान में यहां 11 सीटों पर कांग्रेस, 12 सीटों पर भाजपा और 1 सीट पर बसपा का कब्जा है. लेकिन 2018 के इस चुनाव में यहां से कांग्रेस को नुकसान होने की संभावना ज्यादा दिख रही है. क्योंकि 2013 के चुनाव में कांग्रेस की जीत वाले बिल्हा, कोटा और मरवाही के विधायक अब अजीत जोगी के साथ हैं. वहीं बिलासपुर संभाग बसपा गढ़ भी माना जाता है. ऐसे में जनता कांग्रेस और बसपा का गठबंधन यहां के लगभग सभी सीटों पर भाजपा और कांग्रेस के समीकरण सीधे तौर पर प्रभावित करते दिख रहे हैं. मसलन मरवाही, कोटा, तखतपुर, लोरमी, बिल्हा, पामगढ़, अकलतरा,  जैजैपुर, चंद्रपुर और सारंगगढ़ में जेसीसी-बसपा गठबंधन उलटफेर कर सकती है.  हालांकि इसमें बिल्हा सीट पर आम आदमी पार्टी और पाली-तानाखार सीट पर गोंगपा भी मजबूत स्थिति में. लिहाजा इन दोनों सीटों पर परिणाम अप्रत्याशित आ सकते हैं. लेकिन शेष 15 सीटों में भाजपा और कांग्रेस के बीच मुकाबला सीधा है. तमाम समीकरणों के मद्देनजर कड़ी टक्कर के बीच बिलासपुर संभाग से भाजपा को बढ़त मिलने की संभावना दिख रही है.

सरगुजा संभाग- सरगुजा संभाग कांग्रेस गढ़ माना जाता है. हालांकि 2013 के चुनाव में यहां मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच बराबरी का रहा था. वर्तमान में यहां 7 सीटों पर भाजपा और 7 सीटों पर कांग्रेस काबिज है.  लेकिन 2018 के इस चुनाव में भाजपा की स्थिति सभी संभागों के मुकाबले अधिक कमजोर दिखती है. वैसे इस संभाग में जतना कांग्रेस और बसपा गठबंधन का कोई खास असर नहीं दिख रहा है. मतलब यहां किसी भी सीट पर त्रिकोणीय मुकाबले की स्थिति नहीं बन रही है. कांग्रेस को इसी संभाग से सर्वाधिक लीड की उम्मीद है. लेकिन भाजपा के सामने चुनौती कोरिया और जशपुर जिले के 2013 के चुनाव हासिल हुई क्लीन स्वीप वाली जीत को बचा पाने की सबसे ज्यादा है. क्योंकि वर्तमान में इन दोनों जिलों में कांग्रेस के कब्जे वाली एक भी सीट नहीं है. लिहाजा यहां से कांग्रेस लीड करने की स्थिति में है.