कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। मध्यप्रदेश के ग्वालियर चंबल अंचल की ग्वालियर, भिंड, मुरैना और गुना लोकसभा सीट पर भाजपा ने एक बार फिर जीत दर्ज की है, लेकिन कांग्रेस द्वारा भिंड, मुरैना और ग्वालियर में रिकॉर्ड जीत का दावा चुनावी माहौल के साथ ही किया जाने लगा था। उसके वाद अंचल में कांग्रेस को मिली हार को लेकर सियासी चर्चा खूब हो रही हैं। कांग्रेस को बीजेपी से चुनाव लड़ने से पहले ही अपनों से हार का सामना करना पड़ा था, जो हार की बड़ी वजह बना।

ग्वालियर लोकसभा सीट

शहर जिला कांग्रेस कमेटी के जिला अध्यक्ष डॉक्टर देवेंद्र शर्मा ने प्रवीण पाठक के टिकट अनाउंस के साथ ही अपनी नाराजगी जाहिर की और प्रचार करने से भी दूरी बनाई थी। अंदरूनी तौर पर उनकी नाराजगी कायम रही और कांग्रेस को भारी भरकम नुकसान उठाना पड़ा। इसके साथ ही कांग्रेस पार्टी में प्रदेश महासचिव कल्याण सिंह कंसाना टिकट की मांग कर रहे थे लेकिन जब उन्हें टिकट नहीं मिला तो उन्होंने पार्टी से इस्तीफा देकर बीएसपी का दामन थाम लिया।

प्रवीण पाठक को हार का सामना करना पड़ा

चुनाव में उतर कर कांग्रेस को काफी नुकसान पहुंचाया। पूर्व सांसद रामसेवक बाबूजी भी टिकट की रेस में थे लेकिन टिकट न मिलने के चलते उनकी भी नाराजगी सामने आई। इस तरह ब्राह्मण, गुर्जर और रावत वोटर के साथ ही इनके नाराज चेहरे का कांग्रेस पार्टी को काफी नुकसान हुआ। जिसके चलते पार्टी के ग्वालियर लोकसभा सीट से प्रत्याशी प्रवीण पाठक को हार का सामना करना पड़ा।

मुरैना लोकसभा सीट

कांग्रेस पार्टी से टिकट की मांग और वैश्य समाज के बड़े चेहरे रमेश गर्ग को जब आश्वासन के बाद टिकट नहीं मिला तो उन्होंने बीएसपी का दामन थाम लिया। लोकसभा चुनाव में 01 लाख 79 हजार वोट हासिल किए। इसके अलावा विजयपुर सीट से कांग्रेस विधायक रामनिवास रावत ने लोकसभा चुनाव से ठीक पहले बीजेपी का दामन थाम लिया और विजयपुर श्योपुर विधानसभा सीट से बीजेपी को 40000 से ज्यादा वोट की लीड दिलाई। मुरैना से कांग्रेस महापौर शारदा सोलंकी ने भी बीजेपी का दामन थामा था। इन्ही सब के चलते कांग्रेस को बड़ा नुकसान हुआ और 52,530 वोट के मार्जिन से कांग्रेस प्रत्याशी सत्यपाल सिंह सिकरवार को हार का सामना करना पड़ा।

भिंड लोकसभा सीट

ग्वालियर और मुरैना की तरह ही भिंड लोकसभा सीट पर भी कांग्रेस पार्टी को अपनों की बगावत का नुकसान उठाना पड़ा। 2019 का लोकसभा चुनाव कांग्रेस पार्टी के टिकट से लड़ने वाले देवाशीष जरारिया को उस वक्त हार का सामना करना पड़ा था लेकिन 2024 लोकसभा चुनाव में वह फिर से टिकट मांग रहे थे जब कांग्रेस पार्टी ने उन्हें टिकट न देते हुए भांडेर सीट से कांग्रेस विधायक फूल सिंह बरैया को अपना प्रत्याशी घोषित किया तो उन्होंने पार्टी के खिलाफ बगावत करते हुए बीएसपी का दामन थाम कर चुनाव मैदान में उतर गए जिसका सीधा असर भिंड लोकसभा सीट पर पड़ा और कांग्रेस पार्टी को हार का सामना करना पड़ा।

बगावत से ज्यादा लालच और डर

हालांकि ग्वालियर मुरैना और भिंड लोकसभा सीट पर मिली हार को लेकर कांग्रेस प्रवक्ता डॉ राम पांडे का कहना है कि जिन चेहरों ने भी कांग्रेस पार्टी को छोड़ा है वह सभी लालच या फिर डर के चलते भाजपा में शामिल हुए थे। जिन कारणों से कांग्रेस पार्टी को छोड़ दूसरे दल से चुनाव लड़े उन्हें बीजेपी पार्टी ने फाइनेंस किया था। यह कोई बगावत नहीं सिर्फ लालच है। रामनिवास रावत सहित सभी चेहरों को लालच दिया गया। महापौर को भी पुराने कोर्ट मामले में बचाने का लालच दिया गया था। इसलिए इन सभी सीट पर बगावत से ज्यादा लालच और डर था।

बीजेपी की जीत का श्रेय कार्यकर्ताओं को

भारतीय जनता पार्टी भी कांग्रेस पार्टी को छोड़ भाजपा में शामिल होने वालों के अलावा दूसरे दल से चुनाव लड़ने वाले कांग्रेस के बागी चेहरों को अपनी जीत का श्रेय नहीं दे रही है। बीजेपी के वरिष्ठ नेता रामेश्वर भदौरिया का कहना है कि बागी चेहरों से कांग्रेस को भारी भरकम नुकसान हुआ है, लेकिन बीजेपी की जीत का श्रेय कार्यकर्ताओं और पार्टी के कुशल रणनीति का असर है। गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव 2023 में भले ही कांग्रेस पार्टी ने बीजेपी को कड़ी टक्कर दी लेकिन लोकसभा चुनाव में चंबल अंचल सहित प्रदेश में कांग्रेस क्लीन स्वीप हुई है। यही वजह है कि कांग्रेस पार्टी अंचल सहित प्रदेश में अपनी हार के कारणों को खोजने संगठन से लेकर धरातल तक तलाश में जुटी हुई है।

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