कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। आज 7 जून को विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस मनाया जाता है। लेकिन बात करें ग्वालियर-चंबल अंचल की तो यह क्षेत्र आज भी मिलावटखोरों की जकड़ में है। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि खाद्य पदार्थों की सुरक्षा पर सवालिया निशान उठ रहे हैं। बीते एक साल में 1354 सैंपल खाद विभाग की ओर से लिए गए थे। जिनकी जांच में 262 सैंपल मानक पर खरे नहीं उतरे।
यह आंकड़ा और भी ज्यादा बढ़ सकता था क्योंकि खाद्य पदार्थों में मिलावट की जांच के लिए ग्वालियर में तैयार होने वाली फूड सेफ्टी लैब अभी भी तैयार नहीं हो पाई है। हालांकि, मानक पर खरे न उतरने वाले प्रतिष्ठानों पर प्रकरण दर्ज कराए गए हैं और उन्हें न्यायालय में पेश किया गया है। न्यायालय ने एक साल में ऐसे मामलों में एक करोड़ 34 लाख 40 हजार का जुर्माना भी लगाया है। लेकिन यहां भी खाद्य विभाग की बड़ी लापरवाही देखने मिली है क्योंकि जुर्माना वसूली के मामले में बहुत ही लचर आंकड़ा देखने के लिए मिला है। महज 26 लाख 97 हजार 800 रुपये की ही वसूली हो सकी है।
मिलावटखोरों को मिल रहा बल
यही वजह है कि एक ओर जांच के लिए लैब का तैयार न होना तो वहीं दूसरी ओर मिलावटखोरों पर जुर्माना वसूली में लापरवाही मिलावटखोरों को और ज्यादा बल दे रही है। वहीं इस पूरे मामले को लेकर जिले के फूड सेफ्टी डीओ, CMHO डॉ रामकुमार राजोरिया का दावा है कि शासन के निर्देश पर ग्वालियर चंबल अंचल भर में लगातार कड़ी कार्रवाई की जा रही है। मिलावटखोरों पर जुर्माना भी लगाया जा रहा है। बहरहाल, आज विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस पर सभी लोग यही सवाल पूछ रहे हैं कि आखिर ग्वालियर चंबल अंचल कब मिलावटखोरों की जकड़ से मुक्त होगा ताकि लोगों को शुद्ध खाने की चीज है उपलब्ध हो सके।
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