अनमोल मिश्रा, सतना। मध्यप्रदेश के सतना जिले की मझगंवा तहसील आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है, जहां ग्रामीण क्षेत्रों में, खासकर जंगली इलाकों में गरीब आदिवासी निवास करते हैं। मझगवां तहसील एक ऐसा ही इलाका है, जहां देश में बच्चों के कुपोषण के लिए कुख्यात है, तो वहीं पेयजल संकट के लिए भी बदनाम है। यहां तमाम ऐसे इलाके हैं जहां के लोगों को चार- चार, पांच-पांच किलो मीटर दूर तक केवल पानी लेने के लिए जाना पड़ता है।
इन्हीं ग्राम से एक ग्राम पंचायत मलगौसा की आदिवासी बस्ती रामनगर खोखला भी है। जहां आजादी के छिहत्तर वर्ष बीत जाने के बाद भी लोगों को साफ स्वच्छ पेयजल उपलब्ध नहीं है। यहां के ग्रामीण बताते हैं कि पूरी बस्ती तीन किलो मीटर दूर जंगल में स्थित इसी चोंहडे के पानी पर निर्भर है। जंगली चोंहडे का पानी पीकर आए दिन लोग बीमार भी हो जाते हैं। लेकिन इसी का पानी पीना मजबूरी है, क्योंकि दूसरा कोई विकल्प नहीं है।
इस आदिवासी बस्ती में आजादी के छिहत्तर वर्षों के बाद भी लोगों को साफ स्वच्छ पेयजल उपलब्ध नहीं है। ग्रामीणों के अनुसार कुछ दिनों पूर्व बस्ती में एक बोर करवाया गया था, जिससे तीन चार दिनों तक पानी निकलता है और फिर बंद हो जाता है, राजनीतिक मंचों से बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं, लेकिन वास्तविक जमीनी हकीकत बिल्कुल इससे उलट है। जिसे न कोई देखना चाहता है, और न ही कोई बात करना चाहता है।
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