हेमंत शर्मा, इंदौर। मध्य प्रदेश के इंदौर में बोरिंग परमिशन में बड़ी धांधली हो रही है। जिले में कलेक्टर ने नलकूप खनन पर रोक लगाई गई थी। बावजूद इसके बड़ी संख्या में बोरिंग परमिशन अपर कलेक्टर की तरफ से जारी हो रही है। आदेश जारी करने से पहले कलेक्टर के आदेश में उल्लेख किया गया था किसी विशेष परिस्थिति में बोरिंग परमिशन दी जा सकती है। लेकिन lalluram.com के पास 150 से ज्यादा परमिशन पहुंची है जो अपर कलेक्टर की ओर से जारी की गई है।

 सूत्रों के मुताबिक एक अपर कलेक्टर शुभ लाभ कर बोरिंग एजेंट को परमिशन जारी कर रहे हैं। बोरिंग एजेंट ने बातचीत में एक परमिशन के लिए 30 से 50 हजार रुपए खर्च होना बताया। हालांकि यह परमिशन जारी करने वाले अधिकारी कैसे इन इसे अनुमति दे रहे हैं इसका खुलासा तो तब होगा जब वरिष्ठ अधिकारी इस मामले की जांच करें। एक तरफ इंदौर का भूजल स्तर गिर रहा है। लेकिन फिर भी भीषण गर्मी में इंदौर जिला प्रशासन के अपर कलेक्टर लगातार नलकूप खनन की स्वीकृति दे रहे हैं। 

बोरिंग परमिशन जारी करने के पहले लगती है पी एच आई विभाग की सर्वे रिपोर्ट

बता दें कि नियम के मुताबिक आवेदक की ओर से अपर कलेक्टर के पास बोरिंग परमिशन का आवेदन दिया जाता है। इसके बाद पीएचई विभाग अभी तक के क्षेत्र में पानी के सोर्स को देखता है। अगर वहां PHE विभाग की तरफ से कोई पेयजल की व्यवस्था नहीं होती है उस स्थिति में बोरिंग परमिशन जारी की जाती है। इंदौर शहर में दावे किए जा रहे हैं कि नर्मदा लाइन से हर कॉलोनी हर क्षेत्र में पानी पहुंचाया जा रहा है। इसके बावजूद बड़ी संख्या में अपर कलेक्टर बोरिंग परमिशन जारी कर रहे हैं। 

अभी तक PHE विभाग के पास मात्र 4 से 5 ही बोरिंग परमिशन के लिए सर्वे रिपोर्ट तैयार करने के लिए आवेदन पहुंचे थे। लेकिन lalluram.com के पास 150 से ज्यादा बोरिंग परमिशन की कॉपी उपलब्ध है। अब सवाल खड़ा होता है कि गलत तरीके से बोरिंग परमिशन जारी करने वाले इन भ्रष्ट अधिकारियों पर इंदौर कलेक्टर आशीष सिंह कैसे कार्रवाई करते हुए नजर आते हैं। 

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