राहुल परमार, देवास। मध्य प्रदेश के देवास जिले से अजीबोगरीब मामला सामने आया है। जहां एक किसान को मृत बताकर तहसीलदार ने दूसरे के नाम पर जमीन की रजिस्ट्री और नामांतरण कर दी। अब पीड़ित किसान न्याय के लिए ऑफिसों के चक्कर लगा रहा है। वहीं नामांतरण करने वाले तत्कालीन तहसीलदार ने इस कार्य के लिए राजस्व निरीक्षक और पटवारी को गलत बताते हुए अपना पल्ला झाड़ लिया है।

दरअसल, यह मामला जिले के टोंकखुर्द तहसील के ग्राम आगरोद का है। बीते दिनों आगरोद निवासी कैलाश ने अपने स्वर्गीय पिता का मृत्यु प्रमाण पत्र और ग्राम अमोना का फर्जी शपथ पत्र पेश कर असल किसान किशनलाल की कृषि भूमि पर अपने नाम का नामांतरण करवा लिया। कैलाश के पिता किशनलाल था और जमीन मालिक का नाम भी किशनलाल है। इतना ही नहीं दोनों ही बलाई जाति से ताल्लुक रखते हैं। कैलाश ने इसी बात का फायदा उठाते हुए अपने मृत पिता का मृत्यु प्रमाण पत्र पेश कर किशनलाल की कृषि भूमि पर अपने नाम करवा ली।

कैलाश ने किशनलाल की भूमि पर अपने नाम का नामांतरण करवाने के बाद कुछ जमीन युधिष्ठिर नागर निवासी ग्राम खेताखेड़ी को बेच दी। नामांतरण कार्रवाई जब राजेश गुदेन ने चालू की तो पता चला कि किशनलाल की कृषि भूमि राजस्व अभिलेख में कैलाश पिता किशन के नाम पर दर्ज है। इसकी जानकारी जब किशनलाल को पता चला तो उनके पैरों तले की जमीन खिसक गई और उसने मामले की शिकायत सीधे टोंकखुर्द पुलिस को की। साथ ही तहसीलदार के आदेश के खिलाफ अनुविभागीय अधिकार टोंकखुर्द के समक्ष अपील भी दायर कर दी है, लेकिन अभी तक कोई परिणाम सामने नहीं आया है।

बताया जा रहा है कि फर्जी नामांतरण 4 दिसंबर 2023 को तत्कालीन तहसीलदार गौरव निरंकारी के कार्यकाल में हुआ था। इस नामांतरण मामले में नियमानुसार तहसीलदार को अमोना पटवारी से रिपोर्ट लेनी चाहिए थी। लेकिन तहसीलदार ने कैलाश पिता किशन के गांव आगरोद के पटवारी की रिपोर्ट लगवाई और उसी आधार पर बिना सत्यता की जांच किए किशन लाल की कृषि भूमि पर कैलाश का नामांतरण कर दिया। इस मामले में तहसीलदार की भूमिका पूरी तरह संदेह के घेरे में नजर आ रही है। मामला उजागर होने के बाद तहसीलदार और पटवारी तक कटघरे में खड़े हो गए है।

शायद यही वजह है कि अब इस मामले को दबाने का प्रयास भी किया जा रहा है। यह मामला सीधे धोखाधड़ी का है और पीड़ित किसान पुलिस को शिकायत कर चुका है और उसे अपनी जमीन वापस अपने नाम कराने के लिए और दोषियों के खिलाफ केस दर्ज कराने के लिए थाने के चक्कर काट रहा है। अब देखना यह है कि प्रशासन नियमों को ताक पर रखकर किए गए नामांतरण के मामले को गंभीरता से लेते हुए मामले में संलिप्त तहसीलदार और पटवारी के विरुद्ध कोई कार्रवाई करता है की नहीं ?

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