चंडीगढ़. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने हरियाणा के पानीपत स्थित एक अस्पताल में आयुष्मान कार्ड के जरीये मरीज के दाहिने घुटने की जगह उसके बाएं घुटने की गलत सर्जरी करने की रिपोर्ट पर स्वतः संज्ञान लिया है.

बताया जा रहा है कि जब मरीज के परिजनों ने इसका विरोध किया तो डॉक्टरों ने तुरंत दूसरे घुटने की सर्जरी कर दी, लेकिन मरीज चलने में असमर्थ है. अस्पताल ने मरीज से 8,000 रुपए वसूले और उसका आयुष्मान कार्ड भी छीन लिया. आयोग ने पाया है कि यदि रिपोर्ट की सामग्री सही है तो यह चिकित्सकीय लापरवाही के गंभीर मुद्दे को जन्म देती है, जिससे पीड़ित के जीवन और स्वास्थ्य के अधिकारों का उल्लंघन होता है.


तदनुसार, आयोग ने हरियाणा के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को नोटिस जारी कर एक सप्ताह के भीतर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है. इसमें दोषियों के खिलाफ की गई कार्रवाई और मरीज को दिए गए मुआवजे (यदि कोई हो) का विवरण शामिल होना चाहिए. नोटिस जारी करते हुए आयोग ने कहा है कि रिपोर्ट के अनुसार आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएम-जेएवाई) का लाभार्थी होने के बावजूद अस्पताल ने मरीज से पैसे वसूले. इसलिए, जो अधिकारी ऐसे निजी अस्पतालों की निगरानी और निगरानी करने के अपने कर्तव्य को निभाने में विफल रहे हैं, वे अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकते, जहां मरीजों का शोषण किया जा रहा है और उनके साथ क्रूरता के साथ- साथ अमानवीय तरीके से व्यवहार किया जा रहा है.

रिपोर्ट के अनुसार, – पीड़ित ने वर्ष 2006 में एक दुर्घटना में अपने परिवार को खो दिया था और तब से वह मजदूरी करके अपनी आजीविका चला रहा है. अपने घर की सफाई करते समय गिरने से उसके दाहिने घुटने में चोट लग गई थी.

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