दिल्ली. प्रदूषण और पार्किंग की बढ़ती समस्या से लोगों को निजात दिलाने के लिए केंद्र सरकार ने क्वाड्रिसाइकिल को मंजूरी दे दी है. सड़क यातायात एवं राजमार्ग मंत्रालय ने इस वाहन के निजी वाहन के तौर पर इस्तेमाल के लिए अधिसूचना जारी की है.

अभी तक देश में इसका निर्माण हो रहा था, लेकिन नागरिकों को इसके प्रयोग की इजाजत नहीं थी. इन्हें विदेश में निर्यात किया जा रहा था. मोटे तौर पर क्वाड्रिसाइकिल एक ऐसा चौपहिया है जिसमें कार की बजाय तिपहिए की तकनीक का इस्तेमाल किया गया है.
केंद्रीय मंत्रालय द्वारा जारी की गई अधिसूचना के मुताबिक देश की सड़कों पर क्वाड्रिसाइकिल को नागरिक निजी तौर पर इस्तेमाल करने को मंजूरी प्रदान की जाती है. सरकार ने मोटर यान अधिनियम 1988 की धारा 41 की उपधारा 4 द्वारा प्रदत्त शक्तियों के अंतर्गत इस वाहन के प्रयोग को अनुमति दी है.

मेट्रो शहरों समेत देश के अधिकतर इलाके प्रदूषण और पार्किंग की समस्या से जूझ रहे हैं. ऐसे में यह छोटा वाहन एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा. दुर्घटना सुरक्षा के मद्देनजर इसके निजी इस्तेमाल को इजाजत नहीं देने को लेकर चौपहिया वाहन निर्माताओं ने क्वाड्रिसाइकिल के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 2012 में याचिका तक दायर की थी.
इसके बाद क्वाड्रिसाइकिल निर्माता देसी कंपनी बजाज ने इसका निर्यात 16 देशों में शुरू किया और जून में सरकार ने इसके लिए मोटर यान अधिनियम में एक संशोधन किया. इसे सुप्रीम कोर्ट ने मंजूरी प्रदान की, जिसके आधार पर वाहनों के वर्ग में क्वाड्रिसाइकिल को स्थान मिल गया.

वाहन क्षेत्र के विशेषज्ञों का कहना है कि क्वाड्रिसाइकिल यूरोप के प्रदूषण उत्सर्जन नियमों में खरी उतरती है. ऐसे में प्रदूषण की समस्या से जूझ रहे देश में यह अहम भूमिका निभाएगी. कुछ साल पहले दिल्ली सरकार ने प्रदूषण से निपटने के लिए ऑड-ईवन लागू किया था. लेकिन राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) द्वारा यह माना गया कि दिल्ली सरकार की जुगत से प्रदूषण का हल नहीं निकल रहा है.

क्वाड्रिसाइकिल की अधिकतम स्पीड 70 किलोमीटर प्रति घंटा है. इसका प्रदूषण अन्य गाड़ियों की तुलना में ना के बराबर है. साथ ही अधिकतम वजन महज 450 किलोग्राम है, जबकि इसका माइलेज 36 किलोमीटर प्रति लीटर है. मौजूदा समय क्वाड्रिसाइकिल सिर्फ  बजाज बना रही है, लेकिन सरकार से मंजूरी मिलने के बाद विदेशी और अन्य देसी कंपनियों  इसका निर्माण शुरू कर सकती हैं.

गौरतलब है कि भारत में इसकी बिक्री होने पर अधिकतम कीमत दो से तीन लाख रुपये के बीच हो सकती है. खासतौर पर शहर के भीतर चलाने और पार्किंग करने में यह सफल स्थान प्राप्त कर सकती है.