18वीं लोकसभा सत्र के शुरू होते ही विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. ने मोदी सरकार पर हमला बोल दिया है. कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी, पार्टी नेता राहुल गांधी और I.N.D.I.A. ब्लॉक के नेताओं ने संसद परिसर में संविधान की कॉपी के साथ अपना विरोध दर्ज कराया.

यह प्रदर्शन कांग्रेस नेता सुरेश की जगह 7वीं बार के बीजेपी सांसद भर्तृहरि महताब को प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किए जाने के खिलाफ किया गया.  विपक्षी सांसदों ने संसद भवन के बाहर संविधान की कॉपी के साथ मार्च निकाला. इसमें सोनिया गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और सपा प्रमुख अखिलेश यादव सहित अन्य विपक्षी नेता शामिल हुए. 

मल्लिकार्जुन खरगे का बयान

लोकसभा के पहले दिन आपातकाल और अघोषित आपातकाल की चर्चा छिड़ गई. PM नरेंद्र मोदी ने 1975 में पूर्व PM इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल का जिक्र करते हुए कहा कि 50 साल पहले देश के लोकतंत्र पर कलंक लगा था जिसे हमें मिटाना है. इस पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने जवाब दिया कि प्रधानमंत्री 50 साल पुराने आपातकाल का जिक्र कर रहे हैं, लेकिन पिछले 10 वर्षों के अघोषित आपातकाल को भूल गए हैं जिसका जनता ने इस लोकसभा चुनाव में अंत कर दिया है. 

खरगे ने यह भी कहा कि देश को उम्मीद थी कि प्रधानमंत्री NEET और अन्य परीक्षाओं में पेपर लीक जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर बोलेंगे, लेकिन उन्होंने इस पर मौन साध लिया. प्रधानमंत्री ने आपातकाल को लोकतंत्र पर काला धब्बा करार देते हुए कहा कि इसकी 50वीं बरसी के मौके पर देशवासी संकल्प लें कि फिर कभी कोई ऐसा कदम उठाने की हिम्मत नहीं करेगा.  सोशल मीडिया पर हमला खरगे ने ‘X’ पर पोस्ट कर कहा, ‘प्रधानमंत्री मोदी जी अपने रस्मी संबोधन में आज जरूरत से ज्यादा बोले. इसे कहते हैं, रस्सी जल गई, बल नहीं गया.’ उन्होंने कहा कि देश को उम्मीद थी कि मोदी जी महत्वपूर्ण मुद्दों पर कुछ बोलेंगे, NEET व अन्य भर्ती परीक्षाओं में पेपर लीक के बारे में युवाओं के प्रति कुछ सहानुभूति दिखाएंगे, पर उन्होंने अपनी सरकार की धांधली व भ्रष्टाचार के बारे में कोई जिम्मेदारी नहीं ली. हाल ही में हुई पश्चिम बंगाल की रेल दुर्घटना के बारे में भी मोदी जी मौन साधे रहे.

अन्य मुद्दों पर भी तीखा हमला खरगे ने मणिपुर की हिंसा, असम और पूर्वोत्तर में बाढ़, कमरतोड़ महंगाई, रुपये का गिरना, एग्जिट पोल-स्टॉक बाजार घोटाला, और जातिगत जनगणना के मुद्दों पर भी प्रधानमंत्री की चुप्पी की आलोचना की. उन्होंने कहा, ‘मणिपुर पिछले 13 महीनों से हिंसा की चपेट में है, पर मोदी जी न वहां गए और न ही उन्होंने आज के भाषण में ताजा हिंसा के बारे में कोई चिंता व्यक्त की है. असम और पूर्वोत्तर में बाढ़ हो, कमरतोड़ महंगाई हो, रुपये का गिरना हो, एग्जिट पोल-स्टॉक बाजार घोटाला हो – इन सभी मुद्दों पर मोदी जी बिलकुल चुप थे.’  10 साल के अघोषित आपातकाल पर चुप्पी खरगे ने कहा, ‘नरेन्द्र मोदी जी, आप विपक्ष को नसीहत दे रहे हैं. 50 साल पुराने आपातकाल की याद दिला रहे हैं, लेकिन पिछले 10 साल के अघोषित आपातकाल को भूल गए जिसका जनता ने अंत कर दिया है.’ उन्होंने कहा कि लोगों ने मोदी जी के खिलाफ जनमत दिया है, इसके बावजूद अगर वह प्रधानमंत्री बन गए हैं तो उन्हें काम करना चाहिए. विपक्ष और ‘इंडिया जनबंधन’ संसद में सहमति चाहता है, हम जनता की आवाज सदन, सड़क और सभी के समक्ष उठाते रहेंगे. हम संविधान की रक्षा करेंगे. लोकतंत्र जिंदाबाद!

 प्रधानमंत्री मोदी का कांग्रेस पर हमला

प्रधानमंत्री मोदी ने आपातकाल को लोकतंत्र पर काला धब्बा करार देते हुए कहा कि इसकी 50वीं बरसी के मौके पर देशवासी यह संकल्प लें कि भारत में फिर कभी कोई ऐसा कदम उठाने की हिम्मत नहीं करेगा. 18वीं लोकसभा के पहले सत्र की शुरुआत के अवसर पर संसद परिसर में मीडिया को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, “कल 25 जून है. जो लोग इस देश के संविधान की गरिमा के प्रति समर्पित हैं, जो लोग भारत की लोकतांत्रिक परंपराओं पर निष्ठा रखते हैं… उनके लिए 25 जून एक ना भूलने वाला दिवस है. कल 25 जून को भारत के लोकतंत्र पर जो काला धब्बा लगा था, उसके 50 वर्ष हो रहे हैं.” 

उन्होंने कहा कि भारत की नई पीढ़ी इस बात को कभी नहीं भूलेगी कि उस समय कैसे देश के संविधान को पूरी तरह नकार दिया गया था, देश को जेलखाना बना दिया गया था और लोकतंत्र को पूरी तरह दबोच दिया गया था. उन्होंने कहा, “आपातकाल के ये 50 साल इस संकल्प के हैं कि गौरव के साथ हमारे संविधान और लोकतांत्रिक परंपराओं की रक्षा करेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि भारत में फिर कभी कोई ऐसा कदम उठाने की हिम्मत नहीं करेगा.”  25 जून, 1975 को देश में आपातकाल घोषित किया गया था जो 21 मार्च, 1977 तक चला. इस अवधि को नागरिक स्वतंत्रता के निर्मम दमन के तौर पर देखा जाता है. इस दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के इस कदम का विरोध करने वाले नेताओं को गिरफ्तार किया गया था.