रवि गोयल, सक्ती। जिले में इन दिनों भू-माफिया की भूख इतनी बढ़ गई है कि अधिकारियों से मिलीभगत कर तालाबों को पाटकर उसकी बिक्री कर रहे हैं. एक आंकड़े के हिसाब से जिले भर के करीब दो दर्जन से अधिक तालाब गायब हो चुके हैं. खासकर सक्ती, जैजैपुर और डभरा क्षेत्र में तालाबों की बलि चढ़ाई गई है. इसे भी पढ़ें : अनुकंपा नियुक्ति मिलते ही मां को भूला बेटा, हाईकोर्ट ने कहा- अब वेतन से कटकर मां के खाते में ट्रांसफर होंगे पैसे

हाल ही में सक्ती-बाराद्वार के बीच बसे सकरेली गांव में स्थित वर्षों पुराने तालाब को पाटकर उसे करोड़ों में रायपुर के व्यापारी को बेच दिया गया. वहीं सरकारी रिकॉर्ड में भी कई तालाब आज गायब हो चुके हैं, जिन पर भूमाफियाओं द्वारा अवैध प्लाटिंग का कारोबार किया जा रहा है.

कलेक्टर अगर इस मामले विशेष टीम गठित कर बारीकी से जांच कराते हैं, तो जांच में निश्चित रूप से जिले भर के गायब हुए करीब दो दर्जन तालाब की जानकारी सामने आएगी, जो आज मैदान बन चुका है या फिर उन पर अवैध कटिंग कर भवन बना दिए गए हैं.

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सक्ती के वरिष्ठ अधिवक्ता मनोज अग्रवाल ने बताया कि जिले भर के दो दर्जन से ज्यादा तालाब गायब कर दिए गए हैं, उन्हें या तो राखड़ माफिया ने पाटकर प्लांट बनाकर मोटी कमाई कर चुके हैं, या फिर बेचने की तैयारी है. इसकी शिकायत राज्य एवं केन्द्र सरकार की तमाम उन विभागों को भेजी गई है, जिनकी जिम्मेदारी प्राकृतिक धरोहर को संरक्षित रखने की है.

कलेक्टर से हुई शिकायत

मामले में एक शिकायत सकरेली (ब) के तालाब को पाटे जाने की है. तालाब का खसरा नंबर 191 है, जिसे पाटकर बिक्री करने की शिकायत की गई है. शिकायतकर्ता अधिवक्ता मनोज अग्रवाल ने कलेक्टर से मामले में जांच कर दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है.

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वहीं पटवारी मनहरण राठौर ने बताया कि खसरा नंबर 191 का कुल रकबा 3 एकड़ 15 डिसमिल है. पूर्व में यह अवध बिहारी पिता हीरालाल के नाम पर दर्ज था. जिसकी बिक्री रायपुर निवासी भविष्य अग्रवाल एवं अन्य को की गई है. जिस वक्त तालाब में डस्ट डालकर पाटने का काम किया जा रहा था उस समय मैं प्रतिवेदन तैयार कर तहसीलदार को भेजा था. उस पर क्या कार्रवाई हुई है, मुझे जानकारी नहीं है.