शब्बीर अहमद, भोपाल। 49 years of Emergency: मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने आपातकाल की बरसी पर कांग्रेस पार्टी पर जमकर निशाना साधा। सीएम ने कहा, “आपातकाल का दौर लोकतंत्र पर बहुत बड़ा धब्बा है। ये ऐसा समय है जिसे देश आज भी याद करके सिहर उठता है। कांग्रेस को माफी मांगनी चाहिए। आपातकाल में कई परिवार तबाह हो गए।

मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने आगे कहा, “भाजपा ने संविधान की रक्षा को अपनी निष्ठा माना है। भाजपा के सारे नेता जेल गए। लोकतंत्र के उस काले कार्यकाल के लिए ये सारे के सारे लोग जवाबदार हैं, जो आज नकली संविधान लेकर एक तरह से आडंबर रच रहे हैं। लोकतंत्र का काला अध्याय है आपातकाल। जो प्रतीक है असफलता की कुंठा से उपजे अहंकार और दमन के कुचक्र का। 1975 में आज ही के दिन इंदिरा गांधी जी की सरकार ने देश पर आपातकाल थोप दिया था, तब मां भारती की साहसी संतानों ने ही कड़ा प्रतिरोध किया और यातनाएं सहकर भी लोकतंत्र को पुनर्स्थापित किया। लोकतंत्र के लिए समर्पित सभी विभूतियों को शत्-शत् नमन करता हूं।”

‘आपातकाल’…. नाम तो सुना ही होगा? 25 जून 1975 की वो काली रात जब Indira Gandhi के एक फैसले ने घोट दिया था लोकतंत्र का गला, जीने का अधिकार भी छीन लिया गया था

कब तक चली इमरजेंसी

आपातकाल 25 जून 1975 से शुरू होकर 21 मार्च 1977 तक चली थी। यह समय पूर्व पीएम इंदिरा गांधी सरकार की मनमानियों का दौर था। देश में 25 जून की आधी रात को इमरजेंसी लागू की गई और अगली सुबह यानी 26 जून 1975 को पौ फटने के पहले ही विपक्ष के कई बड़े नेता हिरासत में ले लिए गए। यहां तक कि कांग्रेस में अलग सुर अलापने वाले चंद्रशेखर भी हिरासत में लिए गए नेताओं की जमात में शामिल थे। कई इतिहासकारों का मानना है कि आपातकाल का उपयोग इंदिरा गांधी ने अपनी सत्ता को मजबूत करने और विरोधी आवाजों को दबाने के लिए किया। यह घटना भारतीय लोकतंत्र पर एक गहरा आघात थी और इसने देश के राजनीतिक इतिहास में एक गहरी छाप छोड़ी।

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