कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। मध्य प्रदेश के ग्वालियर में मानसून की दस्तक दर्ज की जाने लगी है। इसी बीच नगर निगम करोड़ों रुपए खर्च कर अपने क्षेत्र में आने वाले सभी छोटे बड़े नालों की सफाई का दावा कर रही है। यही वजह है कि करोड़ों खर्च करने के बाद भी शहर के नाले बदहाल है। ऐसे में यह भी नगर निगम के घोटालों की लिस्ट में शामिल हो गया है।
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ग्वालियर नगर निगम क्षेत्र में बहने वाले 432 छोटे-बड़े नालों की सफाई पर नगर निगम सालाना करीब 5 करोड़ रुपए खर्च कर रही है। लेकिन नालों की सफाई कैसी होती है, इसकी हकीकत गंदगी और गाद से पटे नालों की तस्वीरों से देखी जा सकती है। शहर में जुलाई के बाद मानसून सक्रिय होगा। लेकिन हालत ये है कि अगर ग्वालियर में एक घंटे की बारिश हो जाएं, तो सैंकड़ो इलाके डूब क्षेत्र में आ जाते है। शहर में हर साल जलभराव की समस्या से निपटने के लिए करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद इस परेशानी का हल नहीं निकल पा रहा है। जिसके चलते लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।
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शहर में जलभराव की समस्या से निपटने के लिए 11 साल पूर्व एडीबी प्रोजेक्ट के तहत 30 करोड़ रुपए ड्रेनेज सिस्टम पर खर्च कर सिटी सेंटर और पड़ाव क्षेत्र में लाइन डाली गई थी। लेकिन यह लाइन अब बंद हो चुकी है और जरा सी बारिश में ही शहर में जलभराव की स्थिति बन रही है। हालांकि निगम आयुक्त का दावा है की नालों की सफाई की जा रही है।
गौरतलब है कि, यदि जिम्मेदारों ने समय रहते इस व्यवस्था को धरातल पर दुरुस्त नहीं किया तो आने वाले दिनों के भारी बारिश के हालात के दौरान आर्थिक हानि के साथ जनहानि भी हो सकती है।
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