जगन्नाथ यात्रा के बाद रथों का क्या होता है?
इस साल जगन्नाथ यात्रा की शुरुआत 7 जुलाई से होगी
इस यात्रा में भगवान के लिए रथ का निर्माण किया जाता है
इसी में सवार होकर भगवान जगन्नाथ, भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ भ्रमण करते हैं।
यात्रा के समाप्त होने के बाद रथ की लकड़ियों का क्या होता है, चलिए जानते है.
भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा मुख्य मंदिर से होने के बाद 3 किलोमीटर तक जाती है
जहां उनकी मौसी गुंडिचा का मंदिर है, यह यात्रा इसी जगह पर जाकर समाप्त हो जाती है.
यहां पर भगवान 7 दिन तक आराम करते हैं, उसके बाद वापस अपने मुख्य मंदिर लौट जाते हैं
वापस लौटने कि इस यात्रा को दक्षिण मुखी यात्रा कहते हैं। इसमें सबसे आगे बलभद्र जी का रथ
इसके बाद सुभद्र और उसके पीछे भगवान जगन्नाथ जी का रथ चलता है
जैसे ही यह यात्रा पूरी होती है इन तीनों रथों के हिस्सों को अलग कर दिया जाता है। इस रथ के बड़े हिस्सों की नीलामी कर दी जाती है