नईदिल्ली. आज से ठीक दस साल पहले 26 नवंबर 2008 को मुंबई पर पाकिस्तानी आंतकवादी लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकवादियों ने हमला कर 166 लोगों को मौत के घाट उतार दिया था. सेना और पुलिस के ऑपरेशन में 9 आतंकवादी मार गिराए गए थे, वहीं एक आतंकवादी अजमल कसाब जिंदा पकड़ा गया था. मासूमों, महिलाओं और बेकसूरों को बिना किसी हिचकिचाहट के साथ मौत के घाट उतारने वाले इस शख्स का मुंबई से पुणे तक का तीन घंटे का अंतिम सफर ‘पार्सल रिच फॉक्स’ संदेश के साथ खत्म हुआ.
अजमल कसाब को मुंबई के ऑर्थर जेल से पुणे के यरवदा जेल कड़ी सुरक्षा में पूरी गोपनीयता के साथ ले जाने वाले पुलिस अधिकारियों में से एक वरिष्ठ अधिकारी बताते हैं कि 26/11 हमले के जिम्मेदार आतंकवादी अजमल कसाब को शिफ्ट करने के दौरान सात कोड वर्ड में से पार्सल रिच फॉक्स’ का इस्तेमाल किया गया, जिसकी जानकारी तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री आरआर पाटिल और चंद आला पुलिस अधिकारियों को ही थी. पार्सल रिच फॉक्स’ आखिरी संदेश था जो कसाब को मुंबई से पुणे ले जाने के दौरान इस्तेमाल किया गया.
कसाब को बुर्का पहनाकर ले गए पुणे
वरिष्ठ पुलिस अधिकारी बताते हैं कि कसाब को मुंबई से पुणे तक ले जाने के लिए चुनिदा पुलिस अधिकारियों का चयन किया गया था. सफर के दौरान किसी को शक न हो इसके लिए कसाब को बुर्का पहनाकर 20 नवंबर 2012 को मध्य मुंबई स्थित ऑर्थर जेल से पुणे स्थित यरवदा केंद्रीय जेल से ले जाया गया. अधिकारी बताते हैं कि कसाब को सात दिन पहले ही फांसी की जानकारी दे दी गई थी. इसके बाद उसे पुणे तक ले जाने का काम बड़ी जिम्मेदारी वाला था. इसके लिए अत्याधुनिक हथियारों से लेस पुलिस की ‘फोर्स वन’ कमांडो टीम कसाब के साथ गाड़ी में गई. किसी को कोई शक न हो इसके लिए इस गाड़ी से दूरी बनाए रखते हुए राज्य रिजर्व पुलिस बल की गाड़ी चल रही थी.
न कोई शब्द और न ही चेहरे पर भाव
सफर के दौरान केवल दो मोबाइल फोन को छोड़कर सभी पुलिस अधिकारियों व कर्मियों के मोबाइल बंद कर बैग में रख दिए गए थे. मुंबई से रात 12 बजे शुरू हुए पुणे तक के तीन घंटे के सफर में कसाब ने एक शब्द तक नहीं कहा. सुबह 3 बजे यरवदा जेल के अधिकारियों को सौंपते समय भी कसाब के पर किसी प्रकार का कोई भाव नजर नहीं आ रहा था. अगले दिन जब पुलिस अधिकारियों के मोबाइल चालू हुए, तब तक पूरी दुनिया को खबर हो चुकी थी कि अजमल कसाब को फांसी दे दी गई है.