नई दिल्ली। सामाजिक कार्यकर्ता और नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर को 5 महीने जेल की सजा सुनाई गई है। साथ ही 10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। यह मामला तत्कालीन केवीआईसी के अध्यक्ष वीके सक्सेना की ओर से दायर की गई मानहानि मामले से जुड़ा हुआ है।
सोमवार को देश की राजधानी दिल्ली की साकेत कोर्ट में इस मामले में सुनवाई हुई। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि मेधा पाटकर की उम्र, स्वास्थ्य और अवधि को देखते हुए अधिक सजा नहीं दी जा रही है। अदालत ने मौजूद सबूतों और तथ्य पर विचार करने के बाद मेधा को 5 महीने की साधारण जेल की सजा सुनाई है। साथ ही मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट राघव शर्मा ने पाटकर पर 10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
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मेधा ने दायर की जमानत याचिका
यह मामला बीते दो दशकों से अधिक समय से चला रहा रहा था। हालांकि कोर्ट ने सजा को एक महीने के लिए निलंबित किया है, ताकि पाटकर आदेश के खिलाफ अपील दायर कर सकें। वहीं मेधा पाटकर ने जमानत याचिका भी दायर कर दी है।
ये है पूरा मामला
मेधा पाटकर और दिल्ली एलजी वीके सक्सेना का साल 2000 से कानूनी विवाद चल रहा है। तब मेधा पाटकर ने अपने और नर्मदा बचाओ आंदोलन (एनबीए) के खिलाफ विज्ञापन प्रकाशित करने के लिए वीके सक्सेना के खिलाफ मुकदमा दायर किया था। उस वक्त अहमदाबाद स्थित एनजीओ ‘काउंसिल फॉर सिविल लिबर्टीज’ के प्रमुख रहे सक्सेना ने 2001 में एक टीवी चैनल पर उनके खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने और मानहानिकारक प्रेस बयान जारी करने के लिए पाटकर के खिलाफ दो मामले भी दर्ज किए थे।
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