राकेश चतुर्वेदी, भोपाल। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में दूसरी बार मोहन कैबिनेट का विस्तार (Mohan Cabinet Expansion) हुआ है। रामनिवास रावत (Ramniwas Rawat) ने मंत्री पद की शपथ ली है। राज्यपाल मंगूभाई पटेल (Mangubhai Patel) ने रावत को मंत्री पद की शपथ दिलाई। इस दौरान प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव (CM Dr. Mohan Yadav) मौजूद रहे।
विजयपुर सीट से छठवीं बार बने हैं विधायक
रामनिवास रावत लोकसभा चुनाव से पहले 30 अप्रैल को कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे। वे श्योपुर जिले की विजयपुर सीट से छठवीं बार विधायक चुने गए हैं। वह प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष भी रहे हैं। रामनिवास रावत के भाजपा में आने से ग्वालियर-चंबल में बीजेपी को मजबूती मिली है।
BJP की लहर में भी जीता चुनाव
श्योपुर जिले की विजयपुर विधानसभा से 6 बार से विधायक रामनिवास रावत 2013 के विधानसभा चुनाव की उस लहर में भी चुनाव जीतने में सफल हो गए, जब भाजपा 230 में से 163 पर चुनाव जीती थी। कांग्रेस के 66 विधायकों में एक रामनिवास रावत भी थे। तेज तर्रार और बुलंद आवाज वाले रामनिवास रावत कांग्रेस के नेताओं में शुमार थे, जो विधानसभा सहित अन्य मंचों पर पार्टी की बात को दमदारी से रखते थे।
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रामनिवास रावत को मध्य प्रदेश में ओबीसी का बड़ा चेहरा माना जाता है। जब पूरे देश में आरक्षण का मुद्दा गरमाया है। ऐसे में वे ग्वालियर चंबल में भाजपा को मजबूती देने का काम करेंगे। रामनिवास रावत मध्य प्रदेश कांग्रेस के पूर्व कार्यवाहक अध्यक्ष भी रहे हैं। 64 वर्षीय रामनिवास रावत श्योपुर जिले के सुनवई गांव के निवासी हैं। उनकी पत्नी उमा रावत हैं, उनके 2 बेटे और 2 बेटियां हैं। वे काफी पढ़े लिखे नेता हैं, वकालत भी उनका पेशा है। उन्होंने शिक्षा में बी.एस-सी., एम.ए., एल-एल.बी. पूर्ण की है।
राजनीति सफर
1987-1990 में राजनीति में उनकी एंट्री हुई। उस समय वे ब्लॉक युवा कांग्रेस के अध्यक्ष बनाए गए। 1988 में कृषि उपज मंडी समिति विजयपुर के अध्यक्ष रहे। 1990-1993 में प्रदेश युवा कांग्रेस के उपाध्यक्ष चुने गए। 1990 में नौंवी, 1993 में दसवीं, 2003 में बारहवीं एवं 2008 में तेरहवीं विधान सभा के सदस्य निर्वाचित हुए। 1993-98 में राज्य मंत्री तथा 1998 में मंत्री रहे। 2000 से 2008 तक प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महामंत्री रहे। सन् 1993 से वर्तमान तक अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य रहे हैं। सन् 2013 में पांचवीं बार विधान सभा सदस्य निर्वाचित हुए, लेकिन वे 2018 में चुनाव हार गए थे। वर्ष 2023 में फिर 6वीं बार विधायक चुने गए।
सिंधिया परिवार से रहा है करीबी नाता
राम निवास रावत का सिंधिया परिवार से करीबी नाता रहा है। उन्होंने स्वर्गीय माधवराव सिंधिया से लेकर ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ काम किया है। रावत का नाम सिंधिया परिवार के सबसे करीबी नेताओं में शुमार है। सिंधिया के बीजेपी में शामिल होने के बाद भी रामनिवास रावत ने कांग्रेस में रहते हुए सिंधिया के खिलाफ कभी भी एक शब्द नहीं बोला। रामनिवास रावत के मंत्री बनने के बाद सिंधिया समर्थक मंत्रियों में वो सबसे सीनियर मंत्री होंगे।
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