हेमंत शर्मा, इंदौर। शहर में कंपनी सेक्रेटरी (सीएस) के साथ साइबर ठगी का मामला सामने आया है। कंपनी सेक्रेटरी के साथ ठीक उसी प्रकार ठगी की गई जैसे पिछले दिनों तीन लोगों के साथ हुआ। सबसे पहले कॉल कोरियर कंपनी की तरफ से आया और उसके बाद डॉक्यूमेंट टेररिज्म में इस्तेमाल होने का डर दिखाकर डिजिटल अरेस्ट कर लगभग 72 घंटे तक बंधक बनाए रखा और 7 लाख से ज्यादा का अमाउंट अलग-अलग खातों में ट्रांसफर कर दिया। पुलिस की सतर्कता के चलते रविवार को ही जिन खातों में पैसा गया उसमें से 6 लाख से ज्यादा पुलिस ने फीज करवा दिया है। अब यह पैसा कोर्ट की इजाजत के बाद फरियादी को वापस मिल सकेगा

सतर्क रहने की आवश्यकता

इंदौर क्राइम ब्रांच के एडिशनल डीसीपी राजेश दंडोतिया ने बताया कि इस तरीके के मामले में सतर्क रहने की बहुत आवश्यकता है। पढ़े-लिखे लोग इनके बहकावे में आ जाते हैं और इसके बाद वह डिजिटल अरेस्ट का शिकार हो जाते हैं। जो लोग डिजिटल अरेस्ट करते हैं वह सीबीआई पुलिस जैसे अलग-अलग अधिकारी बनकर वीडियो कॉल पर ही फरियादी को धमकी देते हैं जिससे व्यक्ति डर जाता है। अगर आपके पास इस तरह का कोई कॉल आता है तो उसे पहले वेरीफाइड करें। डीसीपी के मुताबिक कोई भी जांच एजेंसी कभी भी किसी को स्काइप कॉल के माध्यम से डिजिटल अरेस्ट नहीं करती है ना ही उनका कोई पैसा किसी निजी अकाउंट में ट्रांसफर करने के लिए कहा जाता है।

शहर में यह चौथी ठगी

लोगों को सतर्क रहने की आवश्यकता है और अगर किसी के साथ इस तरह की ठगी हो जाती है तो उन्हें तुरंत पुलिस को सूचना देना चाहिए ताकि जो उनका पैसा सीज किया जा सके, पुलिस ने इसके लिए नंबर भी जारी किए हैं। इंदौर में पिछले दिनों एक डॉक्टर दंपति के साथ डिजिटल अरेस्ट का मामला सामने आया था। उसके बाद एमबीबीएस कर रहे एक स्टूडेंट के साथ डिजिटल अरेस्ट की वारदात हुई थी। तीसरा मामला डेल कंपनी की मैनेजर के साथ डिजिटल अरेस्ट का सामने आया था।

Cyber ​​crimes

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