53 साल बाद इस बार पुरी की रथयात्रा दो दिनों की है। आज यात्रा का दूसरा दिन है। बलभद्र और सुभद्रा के रथ गुंडिचा मंदिर पहुंच चुके हैं। भगवान जगन्नाथ का रथ भी थोड़ी देर में पहुंच जाएगा।

हर साल आषाढ़ माह में शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि से दशमी तिथि तक होता है। इस 10 दिनों में होने वाले आयोजन इस तरह होंगे।

8 जुलाई: गुंडीचा मंदिर पहुंचेगी यात्रा

8 जुलाई को पौराणिक कथाओं के अनुसार, गुंडिचा भगवान जगन्नाथ की मौसी थी और रथ यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ जी अपनी मौसी के घर 7 दिन तक रुकते हैं। गुंडीचा को भगवान जगन्नाथ का जन्म स्थान भी कहा जाता है।

9 से 15 जुलाई : मौसी के घर रहेंगे भगवान जगन्नाथ


भगवान जगन्नाथ, बलराम और सुभद्रा के रथ गुंडिचा मंदिर में रहेंगे। यहां उनके लिए कई प्रकार के पकवान बनाए जाते हैं और भोग लगाया जाता है। इस दौरान श्रद्धालु भगवान के दर्शन भी कर सकेंगे।मान्यताओं के अनुसार, बहन सुभद्रा ने अपने दोनों भाईयों से नगर दर्शन की बात कही थी। इसके बाद तीनों नगर भ्रमण पर निकले और अपनी मौसी के घर भी 7 दिन ठहरे। तब से ये परंपरा बन गई है।

16 जुलाई: खास रस्म के साथ होगा यात्रा का समापन

16 जुलाई को निलाद्री विजया नाम की रस्म के साथ रथ यात्रा का समापन हो जाएगा और तीनों देवी-देवता वापस जगन्नाथ मंदिर लौट आएंगे।निलाद्री विजया में भगवान के रथों को खंडित कर दिया जाता है, जो इस बात का प्रतीक होता है कि रथ यात्रा के पूरी होने के बाद भगवान इस वादे के साथ मंदिर में लौट गए हैं कि अगले साल वे फिर से दर्शन देने आएंगे।