पुरूषोत्तम पात्र,गरियाबंद. जिले के बिरिघाट में फलदार पेड़ उगाने 37 लाख की खाद की सच्चाई की पड़ताल में पता चला कि जीएसटी नम्बर पंजीयन होने के पहले ही 25 लाख रुपए से ज्यादा का बिल लगाकर सप्लायर की ओर से भुगतान हो गया. मनरेगा के जिला कार्यक्रम अधिकारी बोले बिना लिखित शिकायत के जांच नहीं करेंगे. बिरिघाट में फलदार वृक्ष लगाने के आड़ में रोजगार गारंटी अधिनियम के कड़े मापदंड के बावजूद जमकर गड़बड़ी कर लाखों रुपए हजम कर लिया गया है.
लल्लूराम डॉट कॉम ने किया पड़ताल
लल्लूराम डॉट कॉम ने जब इस मामले का पड़ताल किया तो पता चला कि यहां काम का ज्यादा आंकलन कर आनन-फानन में लाखों का भुगतान सप्लायर को किया गया है. हमारे पास मौजूद दस्तावेज के मुताबिक जिस दो संस्थान को 73 लाख रुपए का भुगतान कर दिया गया है, इनमें से 20 लाख रुपए से ज्यादा नियम कायदे को ताक में रखकर किया गया है. सप्लायर के लिए जरूरी जीएसटी नम्बर के लिए रायपुर के फर्म ग्रीन अर्थ नर्सरी ने प्रोपराइटर सुरेश कुमार पटेल के नाम पर 28 मई को पंजीयन कराया है. जबकि आस्था सेल्स के प्रोपराइटर हेमराज साहू ने 22 मई को वाणिज्य कर विभाग से जीएसटी पंजीयन कराया है, लेकिन इन दोनों फर्म के 31 बिल ऐसे है जिनमें बिल जारी करने की तारीख, जीएसटी पंजीयन से पहले के है. लेकिन इनमें जीएसटी नम्बर का उल्लेख है.
अधिकारियों को शिकायत का इंतजार
भुगतान की प्रक्रिया जनपद सीईओ व जनपद के मनरेगा कार्यक्रम अधिकारी से होकर गुजरता है, फिर भी इस बड़ी गलती के बावजूद आसानी से फर्जी बिल पर 25 लाख से ज्यादा का भुगतान हो गया. मामले में जनपद स्तर के अधिकारी बात करने को तैयार नहीं हुए, जबकि जिला कार्यक्रम अधिकारी बुधराम साहू ने कहा कि जब तक लिखित शिकायत नहीं मिलेगी जांच की कार्रवाही नहीं होगी.
सप्लायर को वर्क आर्डर पंचायत ने नहीं दिया
मनरेगा योजना में बिरिघाट पँचायत के पानी गांव के 45 एकड़ जमीन पर फलदार पौधे लगाने के लिए 1 करोड़ 33 लाख रुपए की मंजूरी तत्कालीन जिला सीईओ विनीत नंदनवार ने अप्रैल 2018 में दे दिया था. सप्लायरों ने मई माह में पंजीयन कर एक माह के भीतर 73 लाख के सामग्री सप्लाई भी बता दिया. पँचायत या जनपद स्तर पर सप्लायर को कोई वर्क आर्डर ही जारी नहीं किया गया था. पड़ताल में आई तथ्यों से लगता है कि जिला स्तर पर ही योजना की रकम हड़पने आनन फानन में पंजीयन कर पैसा डलवाया गया. बिरिघाट कि अलावा जिले के अन्य चार पंचायतों में भी उक्त सप्लायरों के दखल है. कुछ ही महीने में इन सप्लायरों के खातों में ढाई करोड़ का ट्रांसफर होना कई सवाल खड़े करते हैं.
लाखों का बकाया दार लगा रहे चक्कर
बिरिघाट में मिट्टी सप्लाई के साढ़े 3 लाख का बकाया है. लोकल ट्रेक्टर से काम करवाकर ये सप्लायर ट्रांसपोर्टिंग के नाम का सवा 6 लाख रुपए अपने खाता में जमा करवा लिए, अब इनके नम्बर बन्द बता रहे है. जानकारों के मुताबिक पूरे जिले में दर्जन भर दुकान, वाहन मालिकों के 20 लाख का भुगतान डकार कर भूमिगत हो गए है. काम के दरम्यान सप्लायरों की पूरी पलटन गरियाबन्द के एक आलीशान होटल में ठाट से रूकते थे. जिला सीईओ विनीत नंदनवार के काफिले व उनके दफ्तर में ये प्रायः देखे जाते थे. नवम्बर में जिला सीईओ के तबादले के बाद सप्लायरों की भी गैर मौजदगी चर्चा का विषय बना हुआ है. अब देखना यह होगा कि अधिकारी शिकायतों का इंतजार करते रहेंगे या फिर इस मामले में कोई कार्रवाई करते है.