मनीष कुमार, बुरहानपुर। मध्य प्रदेश के बुरहानपुर में हाईकोर्ट के आदेश के बाद विश्व प्रसिद्ध जल वितरण प्रणाली की कुंडी की खुदाई करने जिला प्रशासन के अधिकारी पहुंचे। शिकायत के बाद दो माह के भीतर हाईकोर्ट ने विश्व प्रसिद्ध कुंडी भंडारे की कुंडियों को अतिक्रमण मुक्त करने के आदेश दिए थे।

बुरहानपुर की विश्व प्रसिद्ध भूमिगत जल वितरण प्रणाली कुंडी भंडारा की एक कुंडी लालबाग रोड स्थित मैरिज गार्डन में संचालक ने अतिक्रमण कर समतलीकरण करने की शिकायत पर जिला कलेक्टर ने संज्ञान लिया है। बलिराम धुर्वे ने जबलपुर हाईकोर्ट में कुंडी को तोड़ने की शिकायत याचिका लगाई थी। हाईकोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए जिला प्रशासन को आदेश दिया था कि दो माह के भीतर तोड़ी गई कुंडी को दोबारा खोज कर स्थापित करें और दोषी के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई करें। 

हाईकोर्ट के आदेश पर तहसीलदार रामलाल पगारे, नगर निगम के अमले के साथ मौके पर पहुंचे। जिस स्थान पर ऐतिहासिक कुंडी थी उस स्थान पर जेसीबी से खुदाई शुरू की। खुदाई के दौरान वर्ल्ड हेरिटेज का दर्जा प्राप्त कुंडी भंडारे की कुंडी के अवशेष मिले हैं। जांच करने आए अधिकारियों ने मौका स्थल पर पंचनामा बनाया।

क्या है कुंडी भंडारा

कुंडी भंडारा बुरहानपुर की एक अनोखी भूमिगत जल प्रणाली है जिसमें करीब 400 सालों से गुरुत्वाकर्षण के नियम के विरुद्ध सतत रूप से नैसर्गिक शुद्ध पेयजल बहकर लोगों के घरों तक पहुंच रहा है। सतपुड़ा पर्वत के गोद में बसे बुरहानपुर के लालबाग उपनगर की 40 हजार आबादी इस पेयजल से अपनी प्यास बुझा रही है। हल्का गुलाबी पेयजल होने से इसे कुंडी भंडारा या खूनी भंडारे के नाम से जाना जाता है। ईरान इराक के बाद यह विश्व की दूसरी भूमिगत जल प्रणाली है जो बुरहानपुर में मौजूद है। 

बताया जाता है कि 1615 ईसवी में मुगलशासक अब्दुल रहीम खान खाना ने पानी की किल्लत को देखते हुए जनहित में 108 कुंडिया बनाकर इस जल प्रणाली का निर्माण कराया था, जो आज पूरे दुनियाभर में मशहूर है। खास बात यह है कि 80 फीट गहराई से पानी बिना किसी पंप के आगे बढ़ता है। यह पानी बहता हुआ नहीं बल्कि बूंदों के रूप में टपकता हुआ नजर आता है। करीब 4 किलोमीटर का सफर तय कर यह बूंदे अंतिम कुंडी तक पहुंचती है और जमीन पर आ जाती है।  

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