प्रतीक चौहान. रायपुर. छत्तीसगढ़ के एक मात्र सिकल सेल संस्थान रायपुर में वर्षों से चीजें ठीक से संचालित नहीं हो रही है. संस्थान के खुलने का लाभ जितना मरीजों को नहीं मिला उससे ज्यादा ये संस्थान उपकरण खरीदी को लेकर विवादों में रहा. अब यहां पीओसी टेस्ट कीट के लिए सीजीएमएससी को भेजा गया मांग पत्र सवालों के घेरे में है. क्योंकि छुट्टी में गए डीजी का फायदा उठाकर प्रभारी डीजी ने ये पूरा खेल कर दिया, और लल्लूराम ने अभी ये खबर भी नहीं छापी और प्रभारी डीजी ये कह रहे है कि यदि खबर छापी तो वे आगे कार्रवाई करेंगे और खंडन भी भेजेंगे. तो चलिए आपको बताते है कि ये पूरा माजरा क्या है…
सिकल सेल संस्थान की डीजी उषा जोशी 1 जुलाई से 5 जुलाई तक प्रशिक्षण अवधि पर थीं. उन्होंने डॉ आशीष सिन्हा को दैंदिनी कार्य (चालू कार्य) के लिए डायरेक्टर मेडिकल सम्पादित करने का आदेश जारी किया.
सिकल सेल के प्रभारी डीजी डॉ आशीष सिन्हा ने इसी दौरान एक निजी कंपनी Gazelle की प्वाईंट ऑफ केयर (पीओसी) टेस्ट किट का प्रपोजल बनाकर सीधे सीजीएमएससी को भेज दिया. इस मांग पत्र में सीधे उन्होंने उक्त कंपनी का ही नाम लिखकर प्रपोजल बनाया, जबकि आईसीएमआर ने उक्त कंपनी के अलावा दो अन्य कंपनी को भी रजिस्टर्ड किया है.
इतना ही नहीं डॉ आशीष सिन्हा ने कंपनी से इतने तेजी से प्रपोजल बनाकर सीजीएमएससी को भेज दिया, जिसे जानकर आप भी सोचने पर मजबूर हो जाएंगे कि इतना तेज शासकीय काम हो सकता है ?
डॉ सिन्हा के पास ये प्रपोजल उक्त कंपनी ने ही भेजा. ये प्रपोजल 2 जुलाई 2024 को मिला. बिना देरी किए तत्कालीन डीजी सिकल सेल ने इसकी पूरी प्रक्रिया को आगे बढ़ाया और महज दो दिनों के अंदर 4 जुलाई 2024 को उन्होंने आयुक्त चिकित्सा शिक्षा और एमडी सीजीएमएससी को भी ये मांग पत्र भेज दिया कि उन्हें ये टेस्ट किट 18 लाख रूपए की चाहिए.
हैरानी की बात ये है कि जो प्रपोजल कंपनी ने भेजा वो ई-मेल के माध्यम से भेजा गया है और आवक-जावक में इसकी कोई भी इंट्री मौजूद नहीं है.
इस संबंध में लल्लूराम डॉट कॉम ने डायरेक्टर जनरल सिकलसेल डॉ उषा जोशी को दो बार फोन किया, लेकिन उन्होंने फोन का जवाब नहीं दिया.
खंडन भेजूंगा…: डॉ आशीष सिन्हा
लल्लूराम ने डॉ आशीष सिन्हा से भी उनका पक्ष लिया तो उन्होंने खबर न छापने की बात कहते हुए कहा कि यदि खबर छापी गई तो वे खंडन भेजेंगे. उनका कहना था कि उन्हें सिकल सेल संस्थान के लिए जो जरूरी लगा वो उन्होंने मरीजों के हित में किया और उन्होंने कोई भी काम नियमों के विपरित नहीं किया है.
उन्होंने ये भी कहा कि लल्लूराम को ये बताना पड़ेगा कि उपरोक्त दस्तावेज उन्हें किसने दिए. इतना ही नहीं उन्होंने ये भी कहा कि जिन्होंने ये दस्तावेज दिया है (लल्लूराम को) वो चाहे तो इस खरीदी को रूकवा ले.