चंडीगढ़. पंजाब की सबसे महत्वपूर्ण घर-घर राशन वितरण योजना पर सरकार के यूटर्न के फैसले का सीधा असर युवाओं के रोजगार पर पड़ा है. फरवरी 2024 में शुरू हुई इस योजना ने पंजाब सरकार को काफी सुर्खियों में ला दिया था, लेकिन अब 1500 युवाओं को बेरोजगार कर दिया है. ये वे युवा हैं, जिन्हें सरकार ने योजना के तहत हर जिले में लाभार्थियों के घर तक राशन पहुंचाने के लिए नौकरी दी थी. इन युवाओं को पिछले तीन महीने का वेतन भी नहीं मिला है.

पिछले लोकसभा चुनाव में जब प्रदेश की जनता ने इस योजना पर सवाल उठाए और लाभार्थियों ने पहले की तरह सरकारी डिपो से ही गेहूं लेने की मांग की, तो सरकार को यह योजना बंद करनी पड़ी. योजना बंद होते ही राज्य के सभी 23 जिलों में घर-घर राशन पहुंचाने के लिए तैयार की गई टीम को तीन से चार दिनों के भीतर काम से हटा दिया गया.

अब चार महीने का राशन एक साथ दिया जा रहा है, जबकि पहले यह तीन महीने का दिया जाता था. मार्कफेड के प्रबंधक निदेशक गिरीश दयालन की अध्यक्षता में हाल ही में इस संबंध में एक बैठक हुई थी, जिसमें लाभार्थियों को डिपो से ही राशन मुहैया कराने की पुरानी प्रणाली को पुनः संचालित करने की रूपरेखा तैयार की गई थी. पंजाब में कुल 40.19 लाख राशन कार्ड धारक हैं, जिनके माध्यम से 1.54 करोड़ लाभार्थियों को घर-घर राशन का लाभ मिल रहा था. सरकार ने 9 फरवरी, 2024 को इस योजना की शुरुआत की थी और 1 जुलाई से गेहूं का वितरण पनग्रेन द्वारा किया जा रहा है. योजना के तहत राज्य में कुल 628 दुकानें हैं.