लखनऊ: देशभर में डेढ़ लाख घरों पर बुलडोजर चलाया गया। जिन्हें अलग-अलग कारणों के चलते गिरा दिया गया। जिसकी वजह से करीब 7 लाख से अधिक लोगों को बेघर होना पड़ा। बेदखली की कार्रवाई में 44 फीसदी मुस्लिम, 23 फीसदी आदिवासी, 17 फीसदी ओबीसी और 5 फीसदी दलित प्रभावित हैं। देश में करीब 1 करोड़ 70 लाख लोग इस डर के साये में जी रहे हैं कि उनके घरों को कभी भी ऐसी कार्रवाइयों में ढहाया जा सकता है।
अंग्रेजी मैगजीन फ्रंटलाइन में अनुज बहल ने बुलडोजर से घर और दुकान गिराने की कार्रवाई पर एक रिपोर्ट तैयार की है। उन्होंने यह रिपोर्ट हाउसिंग एंड लैंड राइट्स नेटवर्क (HLRN) के हवाले से बनाई है। एचएलआरएन ने 2017 से लेकर 2023 तक इस तरह के आंकड़ों को इकट्ठा किया। जिसमें बताया कि इन सालों में बुलडोजर की कार्रवाई लगातार बढ़ी है और लोग बेदखल हुए हैं। इस दौरान कम से कम 16 लाख 80 हजार लोग प्रभावित हुए।
रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले 2 वर्षों में 59 प्रतिशत बेदखली झुग्गियों को हटाने, लैंड क्लीयरेंस, अतिक्रमण हटाने या शहरों को खूबसूरत बनाने की पहल की वजह से हुई हैं। साल 2023 में इन सब वजहों से करीब 3 लाख और 2022 में करीब डेढ़ लाख लोगों को विस्थापित होना पड़ा। इसके अलावा इन्फ्रास्ट्रक्चर और तथाकथित विकास योजनाओं के कारण भी लोगों को विस्थापित होना पड़ा है। इनमें से कई मामलों में सरकारों ने अतिक्रमण हटाने या शहरों के सौंदर्यकरण जैसे कारणों का इस्तेमाल किया।
19 जून को लखनऊ के अकबरनगर में राज्य सरकार ने 1169 घरों और 101 व्यावसायिक संपत्तियों को ढहा दिया। इनमें कई लोग दशकों से वहां रह रहे थे। फ्रंटलाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, कई लोगों ने बताया कि विकास प्राधिकरण बनने से पहले वे वहां रह रहे थे। राज्य की बीजेपी सरकार इस इलाके में कुकरैल रिवर फ्रंट डेवलप करने की योजना बना रही है। हालांकि, सरकार का कहना है कि ये सभी अतिक्रमण के दायरे में आते थे।
नया ट्रेंड
इसके अलावा किसी भी हिंसा या अपराध की घटना में आरोपियों के घरों या दुकानों को गिराने का ट्रेंड चला है। हालांकि ऐसे लगभग हर मामले पर प्रशासन की दलील रही है कि अमुक व्यक्ति का घर अवैध तरीके से बना था। पिछले दो सालों में दिल्ली के जहांगीरपुरी, यूपी के प्रयागराज, सहारनपुर, मध्य प्रदेश के खरगोन, हरियाणा के नूह की घटनाएं चर्चित रही हैं। अप्रैल 2022 में हनुमान जयंती की शोभायात्रा के दौरान झड़प हुई थी।
ज्यादातर ये समुदाय पीड़ित
इसके बाद नई दिल्ली नगर निगम (NDMC) ने करीब 25 दुकानों और घरों पर बुलडोजर चला दिया था। बताया गया कि इनमें से ज्यादातर पीड़ित मुस्लिम समुदाय से थे। अप्रैल 2022 में ही मध्य प्रदेश के खरगोन में राम नवमी और हनुमान जयंती समारोह में हिंसा हुई थी। इसके बाद प्रशासन ने मुस्लिम समुदाय से जुड़े लोगों के 16 घरों और 29 दुकानों पर बुलडोजर चलाने की कार्रवाई की थी। इनमें से एक घर प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बनाया गया था।
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मध्य प्रदेश के मंडला में बीते महीने ही 11 लोगों के मकानों को बुलडोजर से गिरा दिया था। प्रशासन ने दावा किया था कि इन लोगों के घरों में कथित रूप से गाय का मांस बरामद हुआ था। बुलडोजर चलाने को लेकर प्रशासन ने दलील दी थी कि घर सरकारी जमीन पर बने थे।
बुलडोजर बाबा
इस साल फरवरी में एमनेस्टी इंटरनेशनल की रिपोर्ट से पता चला कि इस तरह की 128 कार्रवाइयों में मुस्लिमों को टारगेट किया गया, जिसमें 617 लोग प्रभावित हुए। एमनेस्टी ने लिखा कि मीडिया में कई बार इस तरह की कार्रवाई को समर्थन देते हुए पेश किया गया। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बुलडोजर बाबा जैसी पदवी दी गई।
इन कार्रवाइयों से ये सबसे अधिक प्रभावित
फ्रंटलाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, HLRN के डेटा से पता चलता है कि इस तरह की बेदखली की कार्रवाई में 44 फीसदी मुस्लिम प्रभावित होते हैं। इसके अलावा 23 फीसदी कार्रवाई का शिकार आदिवासी होते हैं। वहीं 17 फीसदी ओबीसी और 5 फीसदी दलित ऐसी कार्रवाइयों से प्रभावित होते हैं। रिपोर्ट बताती है कि देश में करीब 1 करोड़ 70 लाख लोग इस डर के साये में जी रहे हैं कि उनके घरों को कभी भी ऐसी कार्रवाइयों में ढहाया जा सकता है। इन कार्रवाइयों के बारे में कई बार सरकार पर आरोप लगे कि बिना नोटिस के ही लोगों के घर गिराए गए। कई बार सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट ने भी सरकारों की इस तरह की कार्रवाई पर सवाल उठाए हैं।
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