कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। कट्टर हिंदूवादी नेता के रूप में पहचान रखने वाले पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया का बड़ा बयान सामने आया है। उन्होंने मध्य प्रदेश में जल्द ही यूनिवर्सिटीज में ड्रेस कोड लागू होने, तथाकथित बाबाओं द्वारा खुद को परमात्मा घोषित करने और पूर्व सांसद रघुनंदन शर्मा के बयान पर अपनी बात रखी है।

जयभान सिंह पवैया ने मध्य प्रदेश की यूनिवर्सिटीज में ड्रेस कोड लागू करने की चर्चाओं को लेकर कहा है कि मध्य प्रदेश के हायर एजुकेशन डिपार्टमेंट ने जो ड्रेस कोड लागू करने का प्लान तैयार किया है मैं इसको लेकर साधुवाद देता हूं और सराहना करता हूं। क्योंकि कॉलेज कोई आम जगह नहीं है, एक संस्था का शैक्षणिक परिसर है। वहां आजादी के नाम पर आप कुछ भी कर सकते हैं, ऐसा नहीं होना चाहिए।  

ड्रेस कोड लागू होना एक अच्छा कदम

पवैया ने कहा इस मामले पर कांग्रेस के लोग आलोचना कर रहे हैं मैं उनसे पूछता हूं कि कल वह कहेंगे कि किसी हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में काला कोट पहनना कोर्ट ने वहां अनिवार्य क्यों कर दिया। यह समझना होगा की यूनिफॉर्म का बहुत महत्व होता है। यूनिफॉर्म के जरिए अनुशासन आता है और समानता का भाव आता है। अमीर का बेटा हो या गरीब का बेटा हो सभी एक ही यूनिफॉर्म में आते हैं, तो समानता का भाव बनता है और अनुशासन का माहौल बनता है, इसलिए यूनिवर्सिटीज में ड्रेस कोड लागू होना एक अच्छा कदम है।

हाथरस हादसे पर दिया बड़ा बयान 

देश में चर्चित हाथरस कांड और तथाकथित बाबाओ के मामलों पर जयभान सिंह पवैया ने बेबाकी से अपनी बात रखी और कहा कि देश के साधु संत महापुरुषों में मेरी गहरी आस्था है।  मैं खुदको उनके चरणों का दास मानता हूं। लेकिन यह भी सच है कि कोई भी तपस्वी कोई भी साधक गुरु हो सकता है, सद्गुरु हो सकता है महात्मा कहा जा सकता है। पर कोई परमात्मा नहीं हो सकता है। इसलिए यह जो नकली भगवान और परमात्मा बनने का जो उपक्रम कहीं-कहीं चल पड़ा है इसको समाज को स्वीकार नहीं करना चाहिए, यह अच्छा नहीं है। भगवान नारायण का तो सिर्फ एक ही अवतार कल्कि बचा है, उसमें भी हजारों बरसों का समय बचा है, तो ऐसे परमात्मा कहीं भी प्रकट हो जाते हैं। नौकरी के साथ अचानक त्यागपत्र दे देते हैं और परमात्मा बन जाते हैं यह धर्म का छरण है यह मर्यादा पार नहीं करना चाहिए।

जयभान सिंह पवैया ने पूर्व सांसद रघुनंदन शर्मा के बयान पर अपनी सहमति दर्ज कराई है। उनका कहना है कि हमारी पार्टी के ऐसे नेता जो भारतीय जन संघ के समय से पार्टी की विचारधारा के लिए अपना जीवन दे रहे हैं। उनमें से कोई भी यदि कुछ सुझाव देता है तो वह सुझाव गंभीर ही होगा। ऐसे वरिष्ठ नेता की संगठन और पार्टी  सुनती है उसे सुधारने की कोशिश भी करती है। इसलिए वरिष्ठ नेताओं को सम्मान पूर्वक सुनना यह हमारे संस्कारों में भी है।

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