न्यामुद्दीन अली, अनूपपुर। मध्य प्रदेश के अनूपपुर में नकली नोट बनाने वाले 4 आरोपियों को कोर्ट ने 10 साल की सजा सुनाई है। प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश पंकज जायसवाल की न्यायालय ने थाना जैतहरी के अपराध में दोषी पाये जाने पर 10 साल कारावास और 4-4 हजार रुपए के अर्थदण्ड की सजा सुनाई है। आरोपियों ने नोट में गांधी की फोटो नहीं छापी थी, इस वजह से वे पकड़े गए।
अरोपी मथुरा प्रजापति, पारसलाल यादव, रूपलाल पुरी, भुजबल मरावी और अनिलशरण दोशवा को सजा हुई है। वहीं एक अन्य आरोपी बल्देव सिंह की अनुपस्थित था जिस पर स्थायी गिरफ्तारी वारण्ट जारी किया गया और आरोपी के संबंध में निर्णय को बंद लिफाफे में रखा गया। इस आरोपी के गिरफ्तार होने पर भविष्य में न्यायालय दण्ड के विषय में सुनकर आदेश जारी करेगी।
ऐसे पकड़ाया आरोपी
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नवंबर 2017 को अंशु प्रजापति की किराना दुकान में छातापटार का मथुरा प्रजापति आया। उसने 500 का नोट देकर 20 रुपए का सामान लिया। जिसके बाद दुकानदार ने उसे 480 रुपए वापस दिए। शाम को दुकानदार ने देखा कि 500 के नोट का कागज मोटा था और दाएं भाग में गांधी जी का फोटो नहीं दिखाई दे रहा था। असली नोट से मिलाने पर वह नोट नकली निकला जिसकी शिकायत जैतहरी थाने में की गई। इस मामले में कार्रवाई करते हुए पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया और उससे पूछताछ की। इस दौरान उसके कब्जे से एक और 500 का नकली नोट जब्त किया गया।
मथुरा प्रजापति ने बताया कि आरोपी पारस लाल ने यह नोट उसे चलाने के लिये दिया था। पुलिस ने पारसलाल को भी गिरफ्तार कर उसके पूछताछ कर कब्जे से 500-500 के 34 नकली नोट जब्त किए गए। पारसलाल ने नकली नोट आरोपी रूपलाल पनिका से दिए जाना बताया। आरोपी से पूछताछ के दौरान उसने अपना जुर्म स्वीकार कर लिया। जिसके बाद यहां से 44 नकली नोट जब्त किया गया। वहीं भुजबल नाम के शख्स के पास से 140 नग नकली नोट पाए गए। साथ ही अनिल शरण के कब्जे से 197 नग नकली 500 के नोटो को जब्त किया गया।
प्रिंटर, कंप्यूटर समेत ये सामान जब्त
पुलिस ने आरोपियों के कब्जे से नोट बनाने में प्रयोग किया गया प्रिंटर, कम्प्यूटर समेत कई सामग्री जब्त किया। आरोपियों से जब्त नकली नोटों को जांच के लिए स्टेट बैंक और पुणे फॉरेंसिक विभाग को भेजा गया। न्यायालय ने सभी नोटों के फर्जी होना प्रमाणित पाये जाने पर अपने फैसले में कहा कि इस प्रकार के अपराध से देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभाव को ध्यान में रखते हुए 10 साल का कारावास और सभी को 4-4 हजार रूपयें के अर्थदण्ड की सजा सुनाई।
प्रकरण का एक आरोपी हुआ फरार
आरोपी बल्देव सिंह अनुपस्थित होने पर कार्यवाही को प्रकरण से अलग करते हुए जमानत मुचलका जब्त कर स्थायी गिरफ्तारी वारण्ट जारी किया गया। और आरोपी के संबंध में निर्णय को बंद लिफाफे में रखा।
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