SEBI New Investment Product:  बाजार नियामक सेबी एक नया बाजार उत्पाद लेकर आ रहा है. यह उत्पाद म्यूचुअल फंड और पोर्टफोलियो प्रबंधन सेवाओं (पीएमएस) के बीच होगा. इसे उन निवेशकों के लिए लाया जा रहा है जो अधिक निवेश कर सकते हैं और जोखिम भी उठा सकते हैं.

इस उत्पाद में निवेश 10 लाख रुपये से 50 लाख रुपये के बीच हो सकता है. सेबी चाहता है कि खुदरा निवेशक इस उत्पाद से दूर रहें. सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच ने पिछले साल दिसंबर में एक कार्यक्रम में इस विचार का प्रस्ताव रखा था.

भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड की चेयरपर्सन ने कहा था – “हमें लगता है कि म्यूचुअल फंड और पीएमएस के बीच कहीं एक अतिरिक्त एसेट क्लास के लिए जगह है… सेबी एक बिल्कुल नए एसेट क्लास पर विचार कर रहा है.”

अभी तय नहीं हुआ नए उत्पाद का नाम (SEBI New Investment Product)

अभी नए उत्पाद का नाम नहीं रखा गया है. नए एसेट क्लास को पहले से उपलब्ध पारंपरिक निवेश उत्पादों से अलग करने के लिए एक अलग नाम दिया जाएगा. इसमें सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान, सिस्टमैटिक विदड्रॉल प्लान और सिस्टमैटिक ट्रांसफर प्लान भी पेश किए जाएंगे.

नए निवेश उत्पादों में जोखिम अधिक होगा

सेबी का कहना है कि नए निवेश उत्पाद में अधिक पैसा लगाना होगा और जोखिम भी अधिक होगा. यह इसलिए लाया जा रहा है ताकि लोग गलत जोखिम भरे निवेश न करें. नया तरीका न तो म्यूचुअल फंड जैसा होगा और न ही प्राइवेट वेल्थ मैनेजमेंट जैसा, बल्कि दोनों के बीच का रास्ता होगा.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सेबी को लगता है कि अभी ऐसा कोई निवेश तरीका नहीं है जिसमें थोड़ा अधिक जोखिम उठाकर अधिक पैसा कमाया जा सके. इसका फायदा उठाकर लोगों को अधिक मुनाफे का लालच देकर ठगा जाता है.

इसलिए सेबी नया उत्पाद ला रहा है, जो म्यूचुअल फंड जैसा ही होगा, लेकिन इसमें जोखिम अधिक होगा. इसमें शेयर बाजार के कुछ ऐसे तरीके भी इस्तेमाल किए जा सकते हैं जो आमतौर पर म्यूचुअल फंड में इस्तेमाल नहीं किए जाते.

कौन सी कंपनियां नए निवेश उत्पाद पेश कर सकेंगी?

सेबी के मुताबिक, केवल वे फंड हाउस ही यह नया निवेश उत्पाद पेश कर सकते हैं जो कम से कम 3 साल से चल रहे हों. उन्हें ₹10 हजार करोड़ से अधिक की एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) को संभालने का अनुभव होना चाहिए.

हालांकि, अगर कोई कंपनी इन शर्तों को पूरा नहीं करती है, तो भी वह इसके लिए आवेदन कर सकती है. इसके लिए कंपनी को एक चीफ इनवेस्टमेंट ऑफिसर नियुक्त करना होगा, जिसके पास कम से कम 10 साल का फंड मैनेजमेंट का अनुभव हो और जिसने 5 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का एयूएम संभाला हो.