विप्लव गुप्ता, पेंड्रा. शारीरिक अक्षमता हौसलों के आगे हमेशा नतमस्तक होती है. यह सिद्ध कर दिखाया है पेंड्रा विकासखंड में राष्ट्रीय आजीविका मिशन के परियोजना संसाधन अधिकारी के रूप में सेवा दे रही तुलेश्वरी निषाद ने. तुलेश्वरी निषाद जन्म के एक साल बाद से ही पोलियो ग्रस्त हो गई और दोनों पैरों से पूरी तरह दिव्यांग हो गई, जिसकी कमी उसे जीवन भर खलती है. लेकिन दिव्यांगता को जीवन पर हावी होने नहीं दिया.
राजनांदगांव जिले की रहने वाली तुलेश्वरी के परिवार की माली हालत भी बहुत अच्छी नहीं थी. परिवार ने मेहनत मजदूरी करके कुलेश्वरी की पढ़ाई पूरी की. आज कुलेश्वरी अपने आप में मिसाल बनकर अन्य महिलाओं को उनके सपने पूरे करने के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं. और अब तक वह 200 से ज्यादा महिला स्व सहायता समूह को प्रशिक्षण देकर अपने पैरों पर खड़ी कर चुकी हैं.
तुलेश्वरी निषाद प्रतिदिन अपनी चार पहिया स्कूटर से ग्राम पंचायतों में एनआरएचएम के तहत कार्य करने वाली महिला स्व. सहायता समूह को प्रशिक्षण देने जाती है और उन्हें बिंदुवार जानकारी भी देती हैं कि किस तरह वह अपने जीवन स्तर को ऊंचा उठा सकती है और साथ ही अपने सपने साकार कर सकती हैं. अपने बीच दिव्यांग तुलेश्वरी निषाद के हौंसले और जज्बे को देखकर महिला स्व. सहायता समूह की कार्यकर्ताओं में भी नया उमंग और उत्साह पैदा हो जाता है.
एक साल में 200 से ज्यादा महिला स्व. सहायता समूह को प्रशिक्षण देकर आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ाती कुलेश्वरी आत्मविश्वास से लबरेज हैं और उनका यही आत्मविश्वास महिला स्व. सहायता समूह को आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है.