रायपुर। छत्तीसगढ़ के उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा ने कहा है कि राज्य में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू किया जाएगा. इसे लागू करने के लिए हमारे सामने कोई चुनौती नहीं है. दिल्ली दौरे के दौरान एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने यह बयान दिया है. राज्य की पिछली सरकार समान नागरिक संहिता का विरोध करती रही है. उप मुख्यमंत्री के इस बयान के बाद समान नागरिक संहिता को लेकर राज्य में एक बार फिर बहस शुरू हो गई है. पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि समान नागरिक संहिता के नाम पर आदिवासियों को बरगलाने का काम न करे. यह कब लागू होगा इसकी तारीख बताएं?
जून 2023 में मध्यप्रदेश की एक सभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समान नागरिक संहिता की वकालत करते हुए कहा था कि एक ही परिवार में दो अलग-अलग नियम नहीं हो सकते हैं. ऐसी दोहरी व्यवस्था से घर कैसे चल पाएगा? मोदी ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने बार-बार कहा है. सुप्रीम कोर्ट डंडा मारता है. कहता है कि कामन सिविल कोड लाओ, लेकिन ये वोट बैंक के भूखे लोग इसमें अड़ंगा लगा रहे हैं. प्रधानमंत्री के इस बयान के बाद इस बात के कयास लगाए जाने लगे थे कि तब संसद के मानसून सत्र में केंद्र सरकार समान नागरिक संहिता का मसौदा पेश कर सकती है, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. हालांकि इसके बाद भाजपा शासित राज्य उत्तराखंड में मार्च 2024 में समान नागरिक संहिता कानून लागू कर दिया. ऐसा करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन गया था.
समान नागरिक संहिता की वकालत करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए तब भूपेश बघेल ने कहा था कि अगर यह लागू हुआ, तो आदिवासियों की संस्कृति और परंपराओं का क्या होगा? उन्होंने कहा था कि इस मसले को हमेशा हिन्दू-मुस्लिम दृष्टिकोण से जोड़कर देखा जाता है. आदिवासी अपनी परंपराओं के हिसाब से चलते हैं. समान नागरिक संहिता लागू होने से आदिवासियों की परंपरा का क्या होगा. भूपेश बघेल के इस बयान से भाजपा इत्तेफाक नहीं रखती. भाजपा का मत है कि आदिवासी हिन्दू संस्कृति का ही हिस्सा हैं.
तो क्या छत्तीसगढ़ में जल्द लागू होगी समान नागरिक संहिता?
उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा के बयान के बाद अब अटकलें तेज हो गई हैं कि राज्य की साय सरकार जल्द समान नागरिक संहिता का मसौदा विधानसभा में पारित कर राज्य में इसे लागू कर देगी. ऐसा नहीं है कि समान नागरिक संहिता को लेकर राज्य में बहस हाल फिलहाल में छिड़ी हो. रमन सरकार के दौरान साल 2015-16 में भाजपा के विधायक रह चुके शिवरतन शर्मा ने विधानसभा में इसे लेकर अशासकीय संकल्प पेश किया था. इस संकल्प को बहुमत से सदन में पारित किया गया था. तब विपक्ष में बैठी कांग्रेस ने इसका पुरजोर विरोध किया था.
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