उत्तर प्रदेश होने वाले उपचुनाव को लेकर राजनीतिक दलों ने अपनी कमर कस ली है. इस उपचुनाव में बसपा भी अपना वजूद बचाने के लिए प्रयास कर रही है. जिसको लेकर बसपा सुप्रीमो मायावती लगातार एक्टिव मोड में दिखाई दे रही हैं और किसी भी मुद्दे पर अपना बेबाकी से राय रख रही हैं. इसी बीच उन्होंने कर्नाटक में निजी कंपनियों में आरक्षण पर बड़ा बयान दिया है.

मायावती ने X पर पोस्ट करते हुए लिखा, ”कर्नाटक की कांग्रेस सरकार द्वारा निजी कम्पनियों में स्थानीय लोगों को प्रबंधन स्तर पर 50 व गैरप्रबंधन में 70 प्रतिशत आरक्षण देने का फैसला उचित-अनुचित के विवाद से अधिक, उद्योगपतियों के दबाव में इसका वापस लिया जाना वास्तव में इनका बीजेपी की तरह धन्नासेठ-समर्थक होने का यह नया सबूत.”

बसपा सुप्रीमो ने आगे कहा है, ”इन्होंने इसी प्रकार हाल के लोकसभा आमचुनाव को, गरीबी, बेरोजगारी व महंगाई आदि जैसे जनहित के ज्वलन्त मुद्दों से लोगों का ध्यान भटकाया और चुनाव को भाजपा के ’आरक्षण व संविधान विरोधी’ होने की तरफ मोड़ा, जबकि कांग्रेस व भाजपा दोनों गरीब, बहुजन, आरक्षण व संविधान-विरोधी हैं.”

बता दें कि कर्नाटक की सिद्धारमैया सरकार ने बीते दिन राज्य में निजी कंपनियों में समूह-सी और डी के पदों के लिए स्थानीय लोगों को 100% और उद्योग, कारखाना प्रबंधन श्रेणियों में 50 फीसदी और गैर प्रबंधन श्रेणियों में 70 फीसदी आरक्षण की बात कही थी. हालांकि अब फैसले पर रोक लगा दी है. इस प्रस्ताव के पास होने के कुछ ही घंटों में इस पर विवाद छिड़ गया.

गौरतलब है कि सिद्धारमैया सरकार की कई उद्योगपतियों ने सरकार के इस फैसले की कड़ी आलोचना की. इस बिल की आलोचना होने के बाद राज्य के उद्योग मंत्री एमबी पाटिल ने कहा कि बिल पारित होने से पहले सारे कंफ्यूजन को दूर किया जाएगा. फिलहाल कर्नाटक सरकार ने स्थानीय लोगों के लिए आरक्षण अनिवार्य करने वाले बिल को फिलहाल स्थगित कर दिया है.

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