दिल्ली. इंजीनियरिंग का कोर्स चार साल का होता है. किसी स्टूडेंट को चार की बजाय ज्यादा से ज्यादा पांच साल लगते हैं लेकिन एनआईटी नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी के एक छात्र ने 9 साल में भी डिग्री पूरी नहीं कर पाई. वह इन नौ सालों में 17 बार फेल हुआ. उसने कोर्ट से याचिका दायर कर और मौके देने की गुहार लगाई लेकिन कोर्ट ने भी उसे निराश कर दिया. कोर्ट ने याचिका स्वीकार नहीं करते हुए छात्र से दो टूक कहा कि अब तुमसे नहीं हो पाएगा. तुम कुछ और कर लो. आगे और मौकों की इजाजत नहीं दी जा सकती है.
मामला कुरुक्षेत्र एनआईटी का है. यहां एक छात्र ने 2009 में एडमिशन लिया था. बीटेक चार साल का कोर्स होता है, लेकिन इस छात्र को नौ साल हो गए, फिर भी डिग्री पूरी नहीं हो पाई. इन नौ सालों में उसकी 17 बार बैक लगी. यानी वह 17 बार फेल हुआ. नौ साल में भी बीटेक नहीं कर पाने पर इंस्टीट्यूट ने आगे और मौके देने से इंकार कर दिया. इसके बाद छात्र ने इंस्टीट्यूट के इस फैसले के खिलाफ कोर्ट में याचिका दायर की. छात्रा ने कोर्ट से गुहार लगाई कि वह नौ साल से फीस भर रहा है, वह बीटेक पूरी करना चाहता है, इसलिए उसे और मौके दिए जाएं.
पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने याचिका तो स्वीकार नहीं की, लेकिन छात्र को खरी खोटी जरूर सुना दी. कोर्ट ने छात्र से कहा कि यह मामला और ऐसे लोग कोई सहानुभूति नहीं रखते हैं जो देश के संसाधन बर्बाद कर रहे हैं. छात्र ने जो फीस भरी वह उसकी पढ़ाई और परीक्षाओं पर खर्च की गई. जब छात्र ने कहा कि उस पर दया की जाए, वह कर सकता है, इस पर कोर्ट ने कहा कि जब तुम नौ साल में बीटेक पास नहीं कर पाए तो फिर आगे कैसे कर पाओगे. 17 बैक कैसे क्लियर कर पाओगे. इससे बेहतर है कि तुम्हें कुछ और करना चाहिए. तुम्हें इससे बेहतर विकल्प मिल सकते हैं.