शब्बीर अहमद, भोपाल। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के चंदनपुरा-मेंडोरा बाघ भ्रमण क्षेत्र में ईकोलॉजी बिगाड़ने वाली गतिविधियों की जांच के आदेश दिए है। NGT ने पांच सदस्यीय टीम गठित की है। जो डेढ़ महीने में पूरे इलाके का मुआयना कर अपनी जांच रिपोर्ट देगी।

बाघ भ्रमण क्षेत्र के इकोलॉजी सिस्टम बिगड़ने को लेकर NGT सख़्त है। चंदनपुरा-मेंडोरा-मेंडोरी बाघ भ्रमण क्षेत्र में पर्यावरण में असंतुलन पैदा करने वाली गतिविधियों की जांच के आदेश दिए हैं। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने 5 सदस्यीय एक एक्सपर्ट कमेटी गठित की है। इस कमेटी में केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय, मप्र वन विभाग, पर्यावरण विभाग, सीपीसीबी, मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सभी से एक-एक प्रतिनिधि को शामिल किया गया है।

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यह कमेटी डेढ़ महीने में पूरे इलाके का मौका मुआयना कर तथ्यात्मक रिपोर्ट पेश करेगी। क्षेत्र में कुछ सरकारी संस्थानों और प्राइवेट भू-स्वामियों की व्यावसायिक गतिविधि की जाती है। प्लॉटिंग, पानी के प्राकृतिक बहाव क्षेत्रों और जंगली जानवरों के कॉरिडोर को बाधित करने वाली गतिविधियों पर चिंता जताई है।

एनजीटी ने मामले में गंभीरता से संज्ञान लेकर 8 सरकारी और 4 निजी संस्थाओं को भी नोटिस जारी कर सभी को अपना पक्ष रखने के निर्देश दिए हैं। केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की 2018 की रिपोर्ट में चंदनपुरा क्षेत्र को बाघों का प्रजजन क्षेत्र माना गया, इसलिए इसको संरक्षित करने के लिए NGT आगे आया है।

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NGT ने साफ़ लिखा कि इस क्षेत्र में मौजूद यूनिवर्सिटी के कारण बाघ भ्रमण क्षेत्र को भारी नुकसान पहुंचा। प्रस्तावित वेस्टर्न बायपास प्रोजेक्ट बनने से बाघों का मूवमेंट और नेचुरल वाटर फ्लो बिगड़ने की आशंका है। आपको बता दें कि ये भोपाल का वह क्षेत्र है, जहां अक्सर बाघ के मूवमेंट की तस्वीर आती है।

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