गुरु पूर्णिमा 2024: सनातन धर्म में सभी तिथि का विशेष महत्व है. वहीं आषाढ़ माह की पूर्णिमा तिथि के दिन गुरु पूर्णिमा मनाई जाती है. आज गुरु पूर्णिमा का पावन त्योहार है. इस तिथि के दिन महाभारत के रचयिता ऋषि वेद व्यास जी का जन्म हुआ था. इसलिए इस दिन को गुरु पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है. वहीं ज्योतिष शास्त्र में भी गुरु पूर्णिमा को बेहद उत्तम फलदायी माना गया है. इस पूर्णिमा तिथि के दिन माला धारण करने के विशेष महत्व के बारे में बताया गया है. आइए जानते हैं कि गुरु पूर्णिमा के दिन हल्दी के गांठ की माला पहने से क्या लाभ हो सकता है. साथ ही इसे धारण करने के दौरान किन नियमों का पालन करना जरूरी है.

हल्दी के गांठी की माला पहनने का महत्व

हल्दी को भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का प्रिय रंग माना जाता है. इसलिए, हल्दी की माला पहनना पवित्रता और शुभता का प्रतीक माना जाता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, हल्दी की माला पहनने से ग्रह-दोषों, विशेष रूप से गुरु ग्रह से संबंधित दोषों का निवारण होता है. हल्दी को सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक भी माना जाता है. इसलिए, हल्दी की माला पहनने से इन गुणों में वृद्धि होती है. हल्दी का पीला रंग मन को शांत करने में मदद करता है. इसलिए, हल्दी की माला पहनने से मानसिक शांति प्राप्त होती है.

ज्योतिष शास्त्र में गुरु ग्रह को ज्ञान, शिक्षा, भाग्य और समृद्धि का कारक ग्रह माना जाता है. हल्दी की माला पहनने से गुरु ग्रह मजबूत होता है, जिसके फलस्वरूप इन सभी क्षेत्रों में लाभ होता है. यदि आपके विवाह में किसी प्रकार की कोई बाधा आ रही हो, तो हल्दी की माला पहनने से विवाह में सफलता मिल सकती है. नौकरी या व्यवसाय में सफलता प्राप्त करने के लिए भी हल्दी की माला पहनी जा सकती है.

माला पहनने के दौरान किन नियमों का करें पालन

1-माला को धारण करने से पहले उसे गंगाजल या शुद्ध जल से धोकर साफ कर लें.

2-माला को हमेशा साफ रखें और इसे जमीन पर न गिरने दें.

3-जब आप माला न पहन रहे हों तो उसे एक साफ और पवित्र स्थान पर रखें.

4-माला को धारण करने से पहले शुभ मुहूर्त का विशेष ध्यान रखें.

5-मंत्र “ॐ नमो नारायणाय” या “गुरूदेव ब्यौं नमः” का 108 बार जाप करते हुए माला को धारण करें.

6-माला को गले या दाहिने हाथ में पहना जा सकता है.