Elderly population in India: केंद्र सरकार वर्ष 2047 तक भारत को विकसित देश बनाने के लक्ष्य के साथ काम कर रही है। इस दिशा में नीतिगत काम जोर-शोर से किया जा रहा है। लेकिन, सरकार के लक्ष्य के अनुसार, जब तक भारत विकसित नहीं हो जाता, तब तक कुछ चुनौतियां भी सामने आएंगी। इनमें से एक है बुजुर्गों की आबादी।

संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष यूएनएफपीए-इंडिया की भारत इकाई की प्रमुख एंड्रिया वोजनार का कहना है कि भारत की बुजुर्गों की आबादी वर्ष 2050 तक दोगुनी हो सकती है। ऐसे में बुजुर्गों के लिए विशेष नीतियां बनाने की जरूरत है, ताकि उन्हें स्वास्थ्य सेवा, आवास और पेंशन मिल सके। इसकी जरूरत खासकर बुजुर्ग महिलाओं को होगी, जो बुढ़ापे में अकेली रह सकती हैं। गरीबी उनके लिए बड़ी समस्या होगी।

विश्व जनसंख्या दिवस (11 जुलाई) के कुछ दिन बाद समाचार एजेंसी पीटीआई से बातचीत में ‘यूएनएफपीए-इंडिया’ के ‘स्थानीय’ प्रतिनिधि वोजनार ने जनसंख्या के उन प्रमुख रुझानों को रेखांकित किया, जिन्हें भारत सतत विकास में तेजी लाने के लिए प्राथमिकता दे रहा है। इनमें युवा आबादी, वृद्ध आबादी, शहरीकरण, पलायन और जलवायु के अनुसार बदलाव शामिल हैं।

ये देश के सामने अनूठी चुनौतियां हैं, लेकिन इन्हें अवसरों में भी बदला जा सकता है। भारत में बुजुर्गों की आबादी कितनी है भारत में बुजुर्गों की आबादी वर्ष 2050 तक दोगुनी होकर 34 करोड़ 60 लाख होने की उम्मीद है। अगर उनकी जरूरतों के हिसाब से बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए अभी निवेश नहीं किया गया, तो भविष्य में काफी दिक्कतें हो सकती हैं।

खासकर, स्वास्थ्य सेवा, आवास और पेंशन योजनाओं में निवेश बढ़ाने की सख्त जरूरत है। यह चुनौती वास्तव में अवसर भी पैदा कर सकती है। वर्तमान में भारत में 10 से 19 वर्ष की आयु के लोगों की संख्या 25 करोड़ से अधिक है।

अगर स्वास्थ्य, शिक्षा, नौकरी प्रशिक्षण और रोजगार सृजन में निवेश किया जाए, तो इस जनसांख्यिकीय क्षमता का लाभ उठाया जा सकता है। इससे देश को निरंतर प्रगति के पथ पर आगे बढ़ने में भी मदद मिलेगी।

भारत में 2050 तक शहरी आबादी 50 प्रतिशत तक पहुंच सकती है। ऐसे में वायु प्रदूषण समेत अन्य पर्यावरणीय समस्याएं भी गंभीर हो सकती हैं। इनसे निपटने के लिए स्मार्ट सिटी का निर्माण, मजबूत बुनियादी ढांचा और किफायती आवास भी जरूरी है।