अनिल सक्सेना रायसेन। आज सावन महीने के पहले सोमवार को पूरे देश भर के शिव मंदिरों में भक्तों का तांता लगा हुआ है। उज्जैन के महाकाल से लेकर ओंकारेश्वर स्थित मंदिरों में भी सुबह से बड़ी संख्या में भक्त जल चढाने और शिव जी को प्रसन्न करने के लिए पहुंच रहे हैं। लेकिन प्रदेश के रायसेन जिले में एक मंदिर ऐसा भी है जिसके ताले सावन में भी नहीं खोले गए। हालांकि भक्त तो भक्त हैं। उन्होंने भी हार नहीं मानी और जलाभिषेक करने की तरकीब निकाल ही ली। सभी श्रद्धालुओं ने बंद कपाट के बाहर से ही पाइप के जरिए शिव जी को जल अर्पित किया।

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दरअसल सोमेश्वर धाम सेवा समिति के शिव भक्तों ने सुबह ब्रह्म मुहूर्त में जिला मुख्यालय दुर्ग पर स्थित प्राचीन सोमेश्वर धाम मंदिर पर पहुंचकर शिव जी का वैदिक मंत्रोच्चार के साथ जलाभिषेक किया। सोमेश्वर धाम सेवा समिति के शिव भक्त प्राचीन सोमेश्वर धाम मंदिर के पट पर ताला लगा होने के कारण अपने साथ पाइप लेकर गए थे। जिसके बाद पाइप से ही शिव भक्तों ने दूध जलाभिषेक किया और प्राचीन सोमेश्वर धाम मंदिर के दरवाजे पर ही विधिवत पूजा पाठ की।

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बता दें कि रायसेन जिला मुख्यालय पर स्थित प्राचीन सोमेश्वर धाम मंदिर के दरवाजे वर्ष में सिर्फ एक ही बार शिवरात्रि के दिन खोले जाते हैं। बाकी साल भर यहां ताला लगा रहता है। सोमेश्वर धाम सेवा समिति शिव भोक्तो ने बताया कि श्रावण मास के अंतिम सोमवार को नगर में एक विशाल कावड़ यात्रा निकाली जाएगी। और प्राचीन सोमेश्वर धाम मंदिर पर पहुंचकर पूजा पाठ के साथ जलाभिषेक किया जाएगा।

364 दिन किले के मंदिर में कैद रहते हैं भगवान भोलेनाथ

पुरातत्व विभाग के अधीन होने के कारण भगवान भोलेनाथ 364 दिन इस किले के मंदिर में कैद रहते हैं। तो वहीं महाशिवरात्रि के दिन महज 12 घंटे के लिए भगवान भोलेनाथ को कैद से आजादी मिलती है। पुरातत्व विभाग के अधीन आने के बाद जब इस रायसेन के ऐतिहासिक किले के मंदिर में ताले लगा दिए गए थे, तब सन 1972 में एक जन आंदोलन चला। जिसमें किले के ताले खोलने के लिए युवाओं सहित आम जनता ने बड़ी संख्या में भाग लिया।

इसको देखते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश चंद्र शेट्टी ने 1974 में रायसेन के ऐतिहासिक किले पर पहुंचकर महाशिवरात्रि के दिन भगवान भोलेनाथ को महज 12 घंटे के लिए आजादी और पूजा अर्चना की, जो अनुमति प्रदान की थी। तब से लेकर आज तक महाशिवरात्रि के दिन भगवान भोलेनाथ को रायसेन के सोमेश्वर धाम मंदिर में आजादी मिलती है। इस ऐतिहासिक किले पर महाशिवरात्रि के दिन मेला लगता है। जिसमें हजारों की संख्या में भक्त रायसेन के ऐतिहासिक किले पर पहुंचते हैं।

अगर व्यवस्थाओं की बात करे तो जिला प्रशासन की किसी भी अनहोनी से निपटने के लिए चाक चौबंद व्यवस्था हैं। अंतरराष्ट्रीय कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा जब रायसेन में शिव महापुराण कथा करने आए थे तब उन्होंने रायसेन के ऐतिहासिक किले पर स्थित मंदिर के ताले खोलने की मांग की थी। इसके बाद में पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती भी गंगोत्री का जल लेकर रायसेन के ऐतिहासिक किले पर पहुंची थी। लेकिन जिला प्रशासन ने पुरातत्व विभाग के अधीन होने के मंदिर के ताले खोलकर जल चढ़ाने की अनुमति नहीं दी थी। तब से लेकर एक बार फिर रायसेन के ऐतिहासिक के स्थिति इस मंदिर के ताले खोलने की मांग चल रही है।

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