हेमंत शर्मा, इंदौर। नेपा लिमिटेड के पूर्व श्रमिकों और कर्मचारियों ने अपने पुराने मकानों को दीर्घकालीन लीज (पट्टे) पर देने की मांग की है। ये मकान 1956-57 में बनाए गए थे और पिछले 30 साल से इनकी मरम्मत नहीं हुई है, जिससे ये बहुत खराब हालत में हैं। श्रमिक संघ ने बताया कि वे खुद ही इन मकानों की मरम्मत कर रहे हैं, लेकिन अब ये मुश्किल हो गया है। उन्होंने सरकार से इन मकानों की जमीन को राजस्व भूमि में बदलने और उन्हें लीज पर देने की मांग की है। नेपा लिमिटेड के पास 2200-2500 क्वार्टर हैं, लेकिन अभी केवल 400-500 श्रमिकों की जरूरत है। वित्तीय समस्याओं के कारण इन मकानों का रखरखाव नहीं हो पाया है।

क्षेत्रीय सांसद ने यह मुद्दा केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री महेन्द्रनाथ पांडे के सामने उठाया था, जिन्होंने नेपा लिमिटेड के अधिकारियों को समस्या का समाधान करने को कहा था, लेकिन अब तक कोई कदम नहीं उठाया गया है। पूर्व श्रमिकों का कहना है कि उन्होंने अपनी सुविधाओं का त्याग कर नेपा लिमिटेड को बचाए रखा है और अब उनके पास नया मकान बनाने के पैसे नहीं हैं। इसलिए वे चाहते हैं कि उनकी जमीन को राजस्व भूमि में बदलकर उन्हें लीज पर दिया जाए ताकि वे सुरक्षित रह सकें। वन विभाग की इस भूमि को राजस्व भूमि में परिवर्तित करने के लिए क्षेत्रीय विधायक मंजू राजेंद्र दादु ने मुख्यमंत्री को पत्र लिख अनुरोध किया है।

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