उत्तराखंड हाईकोर्ट ने एक मामले में अहम फैसला सुनाया है. दरअसल, एक पति ने हरिद्वार पारिवारिक न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए उत्तराखंड हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. पति के याचिका पर सोमवार को हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है. कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए टिप्पणी की है.

कोर्ट ने कहा कि अगर शारीरिक अक्षमता (बीमारी, अस्वस्थ्ता) के कारण पत्नी अप्राकृतिक शारीरिक संबंध बनाने से इंकार करती है तो इसे पति के प्रति मानसिक क्रूरता नहीं माना जा सकता है. कोर्ट ने कहा कि शारीरिक अक्षमता के कारण पत्नी की तरफ से प्रकृति के विरुद्ध शारीरिक संबंध बनाने से इनकार करना उसके पति के प्रति मानसिक क्रूरता नहीं है.

जस्टिस रवींद्र मैथानी की पीठ ने एक पति की तरफ से दायर आपराधिक पुनरीक्षण याचिका को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की, जिसमें पारिवारिक कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें उसे प्रति पति 25 हजार रुपए का भुगतान करने का निर्देश दिया गया था.

पारिवारिक न्यायालय के आदेश को दी थी चुनौती

दरअसल, एक पत्नी ने हरिद्वार पारिवारिक कोर्ट में पति के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था. पत्नी का आरोप था कि उसका पति जबरदस्ती अननेचुरल शारीरिक संबंध बनाने का दबाव डालता है. साथ ही दहेज के लिए तंग करता है. जिसपर फैमिली कोर्ट ने 2023 में अपना फैसला सुनाया था कि पति अपनी पत्नी को 25 हजार रुपए और बेटे को 20 हजार रुपए हर महीने देगा.

धारा 125 के तहत दाखिल किया था मुकदमा

पति के इस याचिका को कोर्ट ने खारिज कर दिया. जाहिर सी बात है अगर पत्नी बीमार है या अस्वस्थ है तो ऐसे में वह शारीरिक संबंध बनान से इंकार करती है तो तो इसे पति के प्रति मानसिक क्रूरता नहीं माना जा सकता है. दोनों की शादी 2010 के दिसंबर में हुई थी.

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