Rajasthan News: केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के फोन टेपिंग मामले में केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस के खिलाफ दावा वापस लेने का प्रार्थना-पत्र सुप्रीम कोर्ट में दाखिल करने के बाद अब दिल्ली पुलिस इस मामले की जांच कर सकेगी. इससे पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उनके ओएसडी रहे लोकेश शर्मा की मुश्किलें बढ़ सकती हैं, क्योंकि शेखावत ने दोनों के खिलाफ दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच में फोन टेपिंग का मामला दर्ज करवाया था.

गहलोत सरकार ने तब दावा किया था कि यह मामला राजस्थान से जुड़ा है और सुप्रीम कोर्ट से इसकी जांच राजस्थान पुलिस से कराने की मांग की थी. अब भजनलाल सरकार ने केंद्र सरकार के खिलाफ पिछली गहलोत सरकार द्वारा दायर दावा वापस लेने का फैसला किया है. इस संबंध में राज्य सरकार की ओर से एएजी शिवमंगल शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में मामला वापस लेने के लिए प्रार्थना पत्र दायर किया.

इस प्रार्थना पत्र में कहा गया है कि गजेंद्र सिंह के खिलाफ मौजूदा मामले में कोई मेरिट नहीं है, इसलिए इसे वापस लिया जाना चाहिए. इसमें सुप्रीम कोर्ट से मूल केस को वापस लेने की मंजूरी मांगी गई थी. इस मामले में 5 फरवरी 2024 को सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से इस मूल केस को जारी रखने या नहीं रखने को लेकर समय मांगा था.

मूल मुकदमा भारतीय संविधान के अनुच्छेद 131 के तहत दायर किया गया था, जिसमें राजस्थान को 25 मार्च 2021 की एफआईआर संख्या 50/2021, जो पी.एस. क्राइम ब्रांच, नई दिल्ली द्वारा दर्ज की गई थी, से संबंधित मामलों की जांच और अभियोजन का अधिकार होने की घोषणा की गई थी. एफआईआर में आईपीसी की धारा 409/120 बी और भारतीय तार अधिनियम, 1885 की धारा 26, आईटी अधिनियम, 2000 की धारा 72 और 72ए के तहत आरोप शामिल थे.

गहलोत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी थी कि इस मामले की जांच का अधिकार दिल्ली पुलिस को नहीं है और राजस्थान पुलिस को ही जांच करनी चाहिए, इसलिए दिल्ली पुलिस की कार्रवाई पर रोक लगाकर राजस्थान पुलिस द्वारा जांच की अनुमति दी जानी चाहिए।

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